शिखिल ब्यौहार,भोपाल। टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश के माथे बाघों की वर्चस्व की लड़ाई में सर्वाधिक मौत का कलंक लगा हुआ है। अब इस कलंक को मिटाने के लिए सरकार कदम बढ़ा दिए हैं। दरअसल, मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या तो लगातार बढ़ रही है। उधर सीमित वन क्षेत्र से टेटोरियल फाइट का शिकार बाघ हो रहे हैं। लिहाजा अब सरकार ने टाइगर रिजर्व, अभ्यारण्य और बाघ भ्रमण संरक्षित वन क्षेत्रों के विस्तार के लिए कदम बढ़ाए हैं।

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वन महकमे के अफसरों ने बताया कि इसके लिए नए सिरे से वन क्षेत्रों की मैपिंग की जाएगी। साथ ही सर्वे के बाद बाघों की आनुपातिक संख्या के मुताबिक बफर जोन को चिन्हित किया जाएगा। बीते सालों में बाघों ने कई नए वन क्षेत्रों में लगातार अपनी आमद दर्ज कराई है। लिहाजा इन क्षेत्रों को बाघों के लिए नए संरक्षित क्षेत्र में शामिल किया जाएगा।

राजधानी के शहरी वन क्षेत्रों में 18 बाघों का मूवमेंट

भोपाल के कलियासोत और केरवा के शहरी वन क्षेत्र में भी 18 से 22 बाघों का लगातार मूमेंट हैं। दो साल पहले शहरी सीमा क्षेत्र के इन जंगलों को संरक्षित करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था। बाघों के अनुकूल क्षेत्र होने के कारण बाघ यहां प्रजनन के लिए आमद दर्ज कराते हैं। लिहाजा नए सिरे संरक्षित वन क्षेत्र के विस्तार के लिए भी कवायद शुरू कर दी गई है।

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आइए बताते हैं आपको कहां-कहां हैं संख्या से अधिक बाघ

– बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की क्षमता 75 बाघों की हैं, लेकिन यहां के जंगलों में 124 बाघ पनाहगार हैं।

– कान्हा टाइगर रिजर्व की क्षमता 70 के मुकाबले यहां 108 बाघ हैं।

– यही स्थिति पेंच जहां 82 और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व जहां 50 बाघ क्षमता से अधिक हैं।

– एक बाघ औसतन 50 से 60 वर्ग किलोमीटर को अपना वर्चस्व का क्षेत्र होता है।

– लिहाजा बाघों का कम वर्चस्व क्षेत्र ही टेरिटोरियल फाइट की सबसे बड़ी वजह हैं।

126 बाघों की हुई वर्चस्व की लड़ाई में मौत

वन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि वन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि बीते छह सालों में 197 बाघों ने अलग-अलग कारणों से दम तोड़ा। चिंता की बात तो यह है कि 126 बाघ क्षेत्र में वर्चस्व की लड़ाई में मारे गए। जब वन महकमे और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने मौतों का अध्ययन किया तो पाया कि प्रदेश के टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क और अभ्यारण्यों में क्षमता से अधिक बाघों की मौजूदगी है। कहीं डेढ़ तो कहीं क्षमता से दोगुने बाघ एमपी के वन क्षेत्रों में मौजूद हैं। देश में सर्वाधिक बाघों की 785 संख्या मध्यप्रदेश में है।

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