मनीषा त्रिपाठी, भोपाल: आज की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में महिलाओं और पुरुषों के व्यस्त शेड्यूल का असर उनकी सेहत पर भी देखने को मिल रहा है। खासकर गर्भपात के मामलों में सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी जिम्मेदार है। क्लीनिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित मैन एंड मिसकैरेज रिपोर्ट के अनुसार वर्कप्रेशर, घरेलू कलह, खराब जीवनशैली से स्पर्म का DNA बदल रहा है।
पुरुषों के स्पर्म को नुकसान पहुंचाने में आज के खराब शेड्यूल के साथ नशा भी बड़ा कारण है। यही एक बड़ी वजह है कि महिलाओं को गर्भधारण करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। वहीं इससे बचने के उपाय के लिए व्यक्ति को स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना जरूरी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि गर्भपात के कुल मामलों में से 25% में स्पर्म डीएनए फ्रेगमेंटेशन जिम्मेदार होता है। इसे जीवन शैली में सुधार कर ठीक किया जा सकता है। विशेषज्ञों की सलाह है कि ज्यादा स्ट्रेस लेने से बचें, शरीर को जरूर आराम दें, लाइफस्टाइल को सुधारे, योग करें और पौष्टिक आहार लें। धूम्रपान और अन्य नशों से दूर रहें।
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जानिए क्या होता है स्पर्म DNA फ्रेगमेंटेशन
टुकड़ों में टूटा हुआ है तो इसे फ्रॅग्मेंटेड कहा जाता है। स्पर्म डीएनए का फ्रेगमेंटेशन (टूटना) पुरुष बांझपन का एक कारण हो सकता है। यह माना जाता है कि एसडीएफ को मिसकैरेज, गर्भ में बच्चे के धीमे विकास और गर्भवती होने जैसी समस्याओं के साथ संबंधित किया जा सकता है।
गर्भपात में पुरुषों का खराब स्पर्म बन रहा बड़ा कारण
रिपोर्ट के अनुसार यह स्थिति पुरुषों में ऑक्सीडेटिव स्टेट का कारण बन रही है। यही नहीं हर 6 महिलाओं में से एक महिला का गर्भपात पुरुषों के खराब स्पर्म के कारण हो रहा है। ऐसी महिलाओं के पुरुष साथियों की जांच में सामने आया कि उनके स्पर्म में ऐसे मॉलिक्यूल मौजूद थे जो नुकसानदायक थे।
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