रणधीर परमार, छतरपुर। बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने बयानों और दावों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं। अब उनके आंसू की चर्चा हो रही है। महज 27 साल की उम्र में लाखों भक्तों और कई वीआईपी को आशीर्वाद देते हुए दिखने वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बेहद सामान्य परिवार से हैं। भक्तों के सामने कथा के दौरान शास्त्री ने जब अपने संघर्ष के दिनों को याद किया तो वह रो पड़े। बागेश्वर धाम के प्रमुख की बात सुनकर सामने बैठे हजारों भक्तों की आंखों से भी आंसू की धारा बह निकली। यह वाक्या ग्राम गढ़ा बागेश्वर धाम छतरपुर में देखने को मिला। 

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एक समय था जब धीरेंद्र शास्त्री के पास रहने के लिए घर तक नहीं था, पहनने के लिए कपड़े नहीं थे और दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से नसीब हो पाती थी। गरीबी इस कदर हावी थी कि गांव के लोगों ने सार्वजनिक कार्यक्रमों में निमंत्रण देना बंद कर दिया था। यह कहते-कहते बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की आंखें भर आईं. झर-झर आंसू बहने लगे, गला रूंध गया। 

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साथ ही हजारों की संख्या में जो श्रद्धालु बाबा बागेश्वर की संघर्ष भरी कहानी सुन रहे थे, वे भी भावनाओं को रोक न सके और रो पड़े। मंच से बागेश्वर बाबा ने कहा कि वह इस विषय को कहना तो नहीं चाहते थे, लेकिन आज अपने आप को रोक नहीं पाए। कहा, मैंने जो गरीबी देखी है, भगवान वह दिन किसी को न दिखाए। 

पं. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, हम तो हनुमानजी के नाम का खा रहे हैं। दक्षिणा लेते हैं, पर अपने सुख के लिए नहीं लेते। हम कथा की दक्षिणा लेते हैं। हमारी दान पेटियों में दान आता है, लेकिन हमने कभी मंदिरों का निर्माण नहीं किया। हम उस दान-दक्षिणा को साल भर के लिए जुटा-जुटा कर रखते हैं। एक रुपया भी अगर कोई इधर-उधर कर दे तो हम लड़ पड़ते हैं, क्योंकि वह हमारा नहीं है बेटियों का है। उसी रुपये से बेटियों-बहनों का विवाह धूमधाम से करते हैं। 

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