शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश में न सिर्फ धर्मांतरण के मामले बढ़ते जा रहे हैं बल्कि धर्म परिवर्तन का नया ट्रेंड हिंदू संगठनों और सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है। नया ट्रेंड यानी कि ‘पुराना नाम लकिन धर्म नया’। ऐसे ही मामलों को लेकर आरएसएस के अनुषांगिक संगठन विश्व हिंदू परिषद ने गोपनीय सेल भी बनाई है। ताकि ऐसे मामलों का पर्दाफाश किया जा सके। उधर, वीएचपी की इस कवायद को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है।
विश्व हिंदू परिषद के मध्य भारत प्रांत प्रचार प्रमुख जितेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि धर्मांतरण पर लगाम लगाने के लिए वीएचपी और बजरंग दल लगातार एक्शन मोड में है। लेकिन, कई मामलों में यह सामने आया है कि धर्मांतरण के बाद भी लोग अपने नाम, परिवार के नाम और सरनेम को तक नहीं बदलते। यह भी एक षडयंत्र के तहत ही किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मुस्लिमों से ज्यादा ईसाई मिशनरी ऐसी साजिश कर रहे हैं। ताकि गुपचुप तरीके से धर्मांतरण को अंजाम दिया जा सके। लिहाजा गोपनीय सेल के जरिए ऐसे मामलों को उजागर किया जा सके।
नया ट्रेंड- नाम वही धर्म नया
वीएचपी का दावा है कि बीते कुछ माह से मंडला, डिंडोरी, शहडोल, झाबुआ, अलीराजपुर, शिवपुरी समेत ऐसे जिले जहां आदिवासी और गरीब तबके के लोग ज्यादा है वहां धर्मांतरण का षडंयत्र सबसे ज्यादा हो रहा है। धर्म परिवर्तन को छिपाने के लिए मिशनरी संस्था नाम नहीं बदलवाते, न ही सरनेम बदलवाया जाता है। लेकिन, पूजा पद्धति और धार्मिक संस्कार बदल दिए जाते हैं। ऐसा ही बीते दिनों शिवपुरी में भी सामने आया था।
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कैसे काम करेगी गोपनीय सेल
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किया है यहां धर्मांतरण की संभावना सबसे ज्यादा है। यह क्षेत्र अनुसूचित जाति और जनजाति बाहुल्य हैं। साथ ही आर्थिक रूप से भी कमजोर होने के कारण आसानी से धर्मांतरण का शिकार बनाया जाता है। यहां वीएचपी ने एक-एक अंडरकवर एजेंट बनाया है। जो संघ या संघ से जुड़े किसी भी अनुषांगिक संगठन से नहीं जुड़ा हो। इनकी संख्या भी पांच हजार से अधिक है। यह धर्म परिवर्तन की भनक पाते ही जिला स्तरीय पदाधिकारियों को सूचित करेंगे। फिर कम से कम एक सप्ताह तक सबूत जुटाने का काम होगा है। पर्याप्त सबूत हो जाने के बाद संगठन पदाधिकारी दबिश देकर मामले का पर्दाफाश करेंगे।
समझाकर घर वापसी कराने का प्रयास
वीएचपी के पदाधिकारियों ने बताया कि ऐसे मामलों को उजागर करने के बाद धर्म वापसी का काम भी वीएचपी द्वारा कराया जा रहा है। बीते दिनों शिवपुरी जिले पूरे एक गांव ने बौद्ध धर्म अपनाया। मामले ने तूल भी पकड़ा। जानकारी लगने के बाद संगठन एक्टिव हुआ और पूरे गांव की हिंदू धर्म में वापसी भी कराई। ऐसा ही मंडला और झाबुआ में कराया गया।
कांग्रेस ने लगाया आरोप- चुनाव आते ही धर्म की आती है याद
कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि चुनाव आते ही संघ, बीजेपी, वीएचपी और बजरंग दल को धर्मांतरण की याद आती है। तरीका नया हो या पुराना यदि धर्मांतरण के मामले सामने आ रहे हैं तो यह सरकार की बड़ी विफलता है। यह देखने में आया है कि आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग ही धर्म परिवर्तन में सहमति देता है। लिहाजा यह सरकार की जिम्मेदारी है इन वर्ग को तमाम सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। फिर विश्व हिंदू परिषद समेत अन्य संगठनों की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म के नाम पर सियासत करना ही आरएसएस का काम है।
कांग्रेस देती है धर्मांतरण को बढ़ावा– बीजेपी
बीजेपी ने वीएचपी की इस पहल को सराहा। साथ ही कांग्रेस पर करारा हमला भी बोला। बीजेपी नेता दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि मिशनरी संस्थाओं को फंडिंग से लेकर बढ़ावा देने का काम कांग्रेस ने किया है। कांग्रेस हमेशा से ही धर्म विरोधी रही है। धर्मांतरण के कई मामलों में कांग्रेस के तार जुड़े होने संबंधित खुलासे भी हो चुके हैं। सरकार हो या संगठन ऐसे मामलों पर नजर रखी जा रही है। ताकि विर्धमियों के षड्यंत्र से भोले-भाले सनातनियों को बचाया जा सके।
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