रायपुर. ओड़िश, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की सीमा से सटे नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में विधानसभा चुनाव में बार-बार मात खा रही भाजपा की इस बार जिले में लंबे समय से जमे अधिकारियों पर नजर टेढ़ी हो गई है. स्थानीय भाजपा पदाधिकारियों ने तीन साल से ज्यादा समय से जिले में जमे अधिकारियों को हटाने के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त और उप मुख्य निर्वाचन आयुक्त के अलावा जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र सौंपा है.

भाजपा ने अपने पत्र में जिन अधिकारियों-कर्मचारियों को हटाने की मांग की है, उनमें सेवानिवृत्ति के बाद भी संविदा में काम कर रहे जिला कार्यालय में प्रभारी अधीक्षक केसीएल नायक, 25 वर्षों से सुकमा में पदस्थ एसडीओ आरईएस अनिल राठौर, जिला शिक्षा समन्वयक श्याम सुंदर चौहान, बुड़दी में पदस्थ रमेश कश्यप, सुकमा आरोहण प्रोजेक्ट में पदस्थ अल्फ्रेड सुना, दोरनापाल में पदस्थ शिक्षक सोनू राम यादव, जिला पंचायत में पदस्थ विजय जैन, रीडर टू एसडीएम राजू पटेल, तृतीय वर्ग कर्मचारी सलमान खान, नागारास में पदस्थ पंचायत सचिव नागुल नागेश, प्रभारी उप संचालक कृषि राकेश जोशी, बीआरसी उमाशंकर तिवारी, कोंटा जनपद के प्रभारी सीईओ सत्य सिंह मंडावी, रोजगार गारंटी कार्यक्रम अधिकारी रीना बैरागी, सुकमा जनपद पंचायत में उप अभियंता राजू विजय टंडन, मानकापाल बालक आश्रम में प्रभारी अधीक्षक लेडी हुंगा, छात्रावास के प्रभारी अधीक्षक माडवी जोगा, कोंटा जनपद सीईओ के रीडर कुंजाम, गादीरास हॉस्टर अधीक्षक नुप्पो देवा, पेरमापारा बालक आश्रम अधीक्षक कन्हैया लाल वट्टी और प्रभारी कानूनगो राजेश कवाची शामिल है.

दूसरे नंबर के लिए लड़ते हैं भाजपा और वामपंथी

सुकमा जिले की इकलौती कोंटा विधानसभा सीट पर कांग्रेस का ही वर्चस्व रहा है. इस नक्सली प्रभावित इस विधानसभा सीट पर चुनाव को लेकर लोगों की सक्रियता कम रहती है, जिसकी वजह से 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदान का आंकड़ा नहीं पहुंच पाता है. सीट पर दूसरे स्थान के लिए भाजपा और वामपंथी दल के बीच ही संघर्ष होता रहा है.