रायपुर। जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के लिए विकराल समस्या है. इसके प्रतिकूल प्रभावों के कारण अनियमित वर्षा, लंबे समय तक सूखा, चक्रवाती वर्षा, वर्षा ऋतु के समय में परिवर्तन जैसी चुनौतियां देश-प्रदेश के सामने हैं. इससे निपटने के लिए हमें रणनीति तय कर प्रकृति को बचाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करना होगा. यह बात मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज रायपुर में आयोजित दो दिवसीय ‘‘छत्तीसगढ़ क्लाइमेट चेंज कॉन्क्लेव 2024‘‘ को संबोधित करते हुए कही. इसे भी पढ़ें : राजीव भवन से सुरक्षा हटाने पर कांग्रेस ने जताई आपत्ति, व्यवस्था बहाल करने पुलिस अधीक्षक को लिखा पत्र…
कार्यक्रम में वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप, विधायक एवं पद्म सम्मानित अनुज शर्मा, फूलबासन यादव, हेमचंद मांझी और जागेश्वर यादव के अलावा वन विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव सहित वरिष्ठ अधिकारी, जनजाति समुदायों के प्रतिनिधि, वैद्यराज इस अवसर पर उपस्थित थे.
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. ज्यादा सुख-सुविधाओं की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे असंतुलन की स्थिति बनती है, विसंगतियां आती हैं. जलवायु परिवर्तन की चुनौती के समाधान के उपायों के संबंध में वर्ष 2015 में पेरिस समझौता किया गया था, जिसमें 196 देश शामिल हैं और अपने पर्यावरण को बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वैश्विक समस्या के समाधान के लिए हम सब मिलकर प्रयास करेंगे तो जरूर सफल होंगे.
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मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर ‘‘छत्तीसगढ़ स्टेट एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज‘‘ तथा एक्शन प्लान की मॉनिटरिंग के लिए डेस बोर्ड, बस्तर में ट्रेडिशनल हेल्थ प्रेक्टिसेस पर केन्द्रित पुस्तक डॉक्टर देवयानी शर्मा द्वारा लिखित ‘‘एन्शिएंट विसडम‘‘ और बॉयोडायवर्सिटी इन कांगेर वैली पुस्तक का विमोचन किया. इस अवसर पर जलवायु परिवर्तन पर आधारित एक शॉर्ट फिल्म का प्रदर्शन किया गया.
कार्यक्रम में मौजूद वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि प्रकृति को बचाने के लिए सभी अपनी भूमिका ईमानदारी के साथ निभाएं. जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने के लिए सबके सहयोग से काम करना होगा ताकि आने वाली पीढ़ी सुरक्षित रहे. विशेषज्ञों के साथ-साथ जनजाति समुदायों के साथ भी.
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वन विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ ने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए विशेषज्ञों, पर्यावरणविदों, जनजाति समुदायों के प्रतिनिधियों, वैद्यराजों को एक प्लेटफार्म पर लाने का प्रयास करना चाहिए. अपने ज्ञान के आदान-प्रदान से हम जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने के लिए सही दिशा में बढ़ सकेंगे. ब्रिटिश डिप्टी हाई कमीश्नर डॉ. एन्ड्रयू फ्लेमिंग ने जलवायु परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला.
इस अवसर पर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं नोडल अधिकारी छत्तीसगढ़ राज्य जलवायु परिवर्तन केंद्र अरुण कुमार पांडेय ने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि राज्य में जलवायु परिवर्तन के परिणाम स्पष्ट रूप से परिलक्षित है एवं हम सभी को सकारात्मक दिशा में एकजुट होकर इस समस्या पर कार्य करने की आवश्यकता है.
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प्रधान मुख्य संरक्षक एवं वन बल प्रमुख वी श्रीनिवास राव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रकृति का संरक्षण करना हम सभी का दायित्व है और वन विभाग छत्तीसगढ इस दायित्व को बखूबी निभा रहा है. उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री एवम वन मंत्री के उद्बोधनों के प्रमुख बिंदुओं को उल्लेखित करते हुए कहा कि इस सरकार के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में प्रकृति संरक्षण को लेकर और भी उत्कृष्ट्य कार्य किए जाएंगे.
कार्यशाला का आयोजन छत्तीसगढ़ स्टेट सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज और वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा फाउन्डेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी के तकनीकी सहयोग से किया गया. इस कॉन्क्लेव में 15 राज्यों एवं राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.
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