कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियर में प्रदेश के पहले मां अष्ट महालक्ष्मी की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सीएम डॉ मोहन यादव शामिल हुए, उनके साथ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर भी रहे। सीएम डॉ मोहन यादव ने सबसे पहले जौरासी हनुमान मंदिर के दर्शन किए, इसके बाद 14 करोड़ की लागत से तैयार हुए मां अष्ट महालक्ष्मी मंदिर में आरती कर आशीर्वाद लिया।
ग्वालियर शहर से 20 किलोमीटर दूर जोरासी गांव में जोरासी हनुमान मंदिर ट्रस्ट द्वारा 14 करोड़ की लागत से भव्य मां अष्ट महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण कराया गया है। महालक्ष्मी की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के छठवें दिन आज हवन पूर्ण आहुति में सीएम डॉ मोहन यादव शामिल हुए। उनके साथ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद रहे। सीएम डॉ मोहन यादव ने दर्शन के बाद कहा कि, जौरासी और पूरा ग्वालियर क्षेत्र यह धर्म और आध्यात्म का पूरा क्षेत्र है।
उन्होंने कहा यहां आते ही बहुत अच्छा लगा है क्योंकि यहां बहुत शांति है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि मां अष्ट महालक्ष्मी सभी प्रदेश और देशवासियों पर कृपा करे। आज देवस्थान धर्म स्थान को लेकर सांस्कृतिक अनुष्ठान का पर्व पीएम मोदी के नेतृत्व में चल रहा है। महा अष्ट महालक्ष्मी मंदिर बहुत ही बड़ा धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनेगा। इसकी रचना बहुत ही खूबसूरत तरीके से तैयार की गई है। सबसे खास बात यह है कि मंदिर के अंदर बहुत ही खूबसूरत मीनाकारी कांच की हुई है, यह मीनाकारी का दौर वापस आया है यह दौर घट रहा था लेकिन यहां बहुत अच्छी कलाकारी की गई है।
CM ने किसानों के खाते में डाला मुआवजा
सीएम मोहन यादव ने प्रदेश में ओलावृष्टि को लेकर भी कहा कि, किसानों के लिए हमने प्रबंध किया है। भिंड में फसल कट कर नहीं आई। लेकिन हमने लगभग 800 करोड़ का मुआवजा किसानों के खाते में डाला है। यशस्वी प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम किसानों के साथ हैं, कोई भी कष्ट होगा फसल बीमा के माध्यम से निश्चित रूप से हम राहत देते रहेंगे,में किसानों की इस दुख की घड़ी में उनके साथ खड़ा हूं।
महालक्ष्मी मंदिर को भव्य रूप दिया गया है। तीन बीघा क्षेत्र में बने इस मंदिर परिसर के भूतल पर सत्संग भवन बनकर तैयार हो गया है। वही उपरी मंजिल पर प्रतिमाओं की स्थापना की गई है। मंदिर में महालक्ष्मी की आठ मूर्तियां है, मुख्य मूर्ति 6 फीट की है। इसके अलावा मंदिर में धनलक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी ,गज लक्ष्मी , शान्तना लक्ष्मी, वीरा लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, विजयालक्ष्मी देवियों की दो-दो फीट की मूर्ति स्थापित की गई है। महालक्ष्मी यंत्र भी बनाया गया है सभी मूर्तियां जयपुर से बनवाकर लाई गई हैं जिसमें विशेष मार्बल का पत्थर लगाया गया है। इसी के साथ संत निवास भी तैयार किया गया है, जिसमें संतों के ठहरने की व्यवस्था रखी गई है
क्या है निर्माण के पीछे का रहस्य
अष्ट महालक्ष्मी मंदिर निर्माण के पीछे एक बहुत गहरी बात छुपी है। विद्वानों के द्वारा बताया गया है कि ग्वालियर का भगवान सूर्य और शनि देव से एक गहरा नाता जुड़ा है। जिसके चलते ग्वालियर शहर बड़े वास्तु दोष से लंबे वक्त से गुजर रहा है। ग्वालियर अंचल को शनि का क्षेत्र कहा जाता है। क्योंकि यहां के ऐंती पर्वत पर रामायणकालीन शनि देव का प्राचीन मंदिर है। जहां साक्षात शनि देव का वास बताया जाता है।
जबकि शहर में ही 1988 में कोणार्क की तर्ज पर सूर्य मंदिर की स्थापना भी की गई थी। शनि और सूर्य दोनो पिता पुत्र है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार शनि-सूर्य में कभी बनती नही है। यही वजह है कि एक ही क्षेत्र में दोनों के विराजित होने से शहर को लगा वास्तु दोष शहर की विकास में एक बड़ी बाधा बन गया,लेकिन महालक्ष्मी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही यह वास्तु दोष खत्म हो गया है।
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कलयुग में न्याय के देवता है शनि देव
ये महज लोगो के बीच अंधविश्वास नही है। पुराणों के अनुसार शनि देव को कलयुग में न्याय के देवता के नाम से जाना जाता है। शनिदेव सूर्य देवता के पुत्र हैं। लेकिन शनि देव और सूर्य देव की आपस में कभी नहीं बनी। स्कंदपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार शनि देव के जन्म के बाद जब उनकी मां स्वर्णा शनि देव को लेकर सूर्य देव के पास गईं तो शनि देव के काले रंग को देखकर सूर्य देव ने स्वर्णा पर संदेह किया और उन्हें अपमानित करते हुए कह दिया की यह मेरा पुत्र नहीं हो सकता।
मां के कठोर तप की शक्ति शनि देव में भी आ गई थी और मां का अपमान देखकर शनि देव को क्रोध आ गया। उन्होंने क्रोधित होकर अपने पिता सूर्य देव को देखा तो सूर्य देव काले हो गए। पुरी दुनिया मे अंधेरा छा गया, सूर्य के घोड़ों की चाल रुक गई। परेशान होकर सूर्य देव भगवान भोलेनाथ की शरण में गए और भोलेनाथ ने उन्हें उनकी गलती का अहसास कराया। तभी से धार्मिक मान्यता है की शनि और सूर्य के बीच आपसी विरोधाभास रहता है।
पहले दिन
- 1 मार्च को प्रायश्चित एवं कलश यात्रा निकली गई। जिनमें मध्य प्रदेश की पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री कृष्णा गौर शामिल हुई।
- 2 मार्च द्वितीय दिवस पर पंचांग पूजन एवं मंडप प्रवेश किया गया।
- 3 मार्च तृतीय दिवस मंडप पूजन बेदी पूजा एवं जलाधिबास हुआ
- 4 मार्च चतुर्थ दिवस मंडप पूजन,अग्नि स्थापन, अन्नाधिबास, फलाधिबास, वस्त्राधिबास, पुष्पाधिबास वस्त्र, मिष्ठानाधिबास, प्रसाद वास्तु पूजन हुआ
- 5 मार्च पंचम दिवस मंडप पूजन, मूर्तिस्पन, प्रसाद स्पन, नगर भ्रमण मूर्ति न्यास एवं सैयाधीबास हुआ
- 6 मार्च मंडप पूजन प्राण प्रतिष्ठा पूर्णआहुति हुई,CM डॉ मोहन यादव शामिल हुए,उनके साथ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद रहे।
- 7 मार्च को मुख्य कार्यक्रम वेद पाठ लोकार्पण एवं भंडारा होगा ,जिसमें 1 लाख लोगों के प्रसाद वितरण की व्यवस्था रखी गई है।
महालक्ष्मी मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के आचार्य, विभाग अध्यक्ष वेदमूर्ति पंडित गोपाल प्रसाद शर्मा के साथ ही शासकीय संस्कृत महाविद्यालय गोरखपुर के आचार्य पंडित प्रवीण कुमार पांडे के निर्देशन में हुआ है। खास बात यह भी है की, कल 7 मार्च को श्री मां संपूर्णा अष्ट महालक्ष्मी मंदिर का लोकार्पण होने जा रहा है।
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जूनापीठाधीश्वर आचार्य अवधेशानंद गिरि जी महाराज इसका लोकार्पण करेंगे,उनके साथ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद रहेंगे,7 मार्च को लोकार्पित होने जा रहे इस मन्दिर से गवलियर का सालों पुराना वास्तुदोष दूर होने जा रहा है। दावा है कि मन्दिर की प्राणप्रतिष्ठा के साथ ही ग्वालियर में विकास की तस्वीर तेजी से बदलती हुई नजर आएगी।
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