नई दिल्ली। लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की वकालत करते हुए स्थाई सदस्यता का इंतजार कर रहे भारत ने जी4 देशों की तरफ से नई योजना संयुक्त राष्ट्र में रखी है, इन सुधारों की बदौलत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ज्यादा लोकतांत्रिक और समावेशी बन सकेगा. इसे भी पढ़ें : नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड : प्रधानमंत्री मोदी ने 20 श्रेणियों में व्लॉगर्स-यूट्यूबर्स को किया सम्मानित…

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने ‘इंटरगवर्नमेंटल नेगोसिसएशन ऑन सिक्योरिटी काउंसिल रिफॉर्म’ कार्यक्रम में भारत की ओर से यह सुझाव प्रस्तुत किया. इसमें सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या मौजूदा 15 से बढ़ाकर 25-26 करने की सिफारिश की गई है. साथ ही इसमें छह नए स्थायी सदस्यों और चार या पांच अस्थायी सदस्यों को शामिल करने की सलाह दी गई है.

छह नए स्थायी सदस्यों में से दो अफ्रीकी और एशिया प्रशांत के देशों, एक लैटिन अमेरिकी देशों और कैरेबियाई देशों और एक पश्चिमी यूरोपीय देशों और अन्य देशों की तरफ से प्रस्तावित करने की बात कही गई है.

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रुचिरा कंबोज ने कहा कि सुरक्षा परिषद की वर्तमान व्यवस्था को अपर्याप्त बताते हुए इमें स्थायी और अस्थायी दोनों वर्गों में प्रतिनिधित्व की कमी बताई, जिसकी वजह से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद उतनी प्रभावी नहीं है. वैश्विक स्थिरता और शांति के लिए सुरक्षा परिषद में तुरंत सुधार की जरूरत बताते हुए कंबोज ने कहा कि कोई भी सुधार प्रतिनिधित्व की कमी को नजरअंदाज करके संभव नहीं है, और खासकर स्थायी कैटेगरी में भारी असंतुलन है.

कंबोज ने कहा कि सुधार के लिए की गई सिफारिशों में किसी देश विशेष को सदस्य बनाने की बात नहीं की गई है, बल्कि इन्हें लोकतांत्रिक और समावेशी तरीके से चुनाव से तय किया जाएगा.

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भारत ने वीटो को लेकर भी सुझाव दिया है, जिसमें कहा गया है कि नए स्थायी सदस्यों के पास भी मौजूदा सदस्यों की तरह जिम्मेदारी और अधिकार होंगे, लेकिन वे किसी मुद्दे पर पूरी समीक्षा के बाद ही वीटो का फैसला कर पाएंगे. वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सिर्फ पांच देशों चीन, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के पास ही वीटो पावर है. वहीं दो अन्य सदस्य अस्थायी होते हैं, जिनका दो साल के लिए चुनाव होता है, इसके अलावा उनके पास वीटो पावर नहीं होता है.

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