शब्बीर अहमद, भोपाल। एम्स भोपाल में एक जटिल सर्जरी को अंजाम दिया गया। मरीज कई दिनों से पेट दर्द की समस्या से परेशान था। मरीज ने पहले स्थनीय डॉक्टर से पेट की सोनोग्राफी करवाई, जिससे पता चला कि उसे 25 सेंटीमीटर से बड़ी कैंसर की गांठ पेट में है। उसने अपने पारिवारिक डॉक्टर की सलाह से एम्स भोपाल के कैंसर सर्जरी विभाग में जांच करवाई।

सीनियर कैंसर सर्जन डॉ विनय कुमार ने रेजिडेंट डॉक्टर सोनवीर के साथ मरीज को ओपीडी में देखा। मरीज को तुरंत सर्जरी के लिए एडमिट किया गया और सीटी स्कैन और सिटी एंजियोग्राफी कराई गई। रिपोर्ट से पता चला कि मरीज के पेट में 25 से 30 सेंटीमीटर का ट्यूमर है जो किडनी और मोटी खून की नस जो सीधे दिल को रक्त की सप्लाई करती है उससे चिपका हुआ है। ऐसी स्थिति में ऑपरेशन करना काफी जटिल था। जिससे किडनी और मोटी खून की नस के फटने का डर था। क्योंकि ब्लड ग्रुप रेयर था इसलिए यह ऑपरेशन और भी जटिल हो गया। मरीज की जान को खतरा भी हो सकता था।

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ब्लड बैंक में 3 से 4 ग्रुप बैकअप में रखे गए

प्लानिंग करने वाली टीम में सीनियर ओंको सर्जन डॉ विनय कुमार, सीनियर सीटीवीएस सर्जन डॉ योगेश नेवरिआ और एनेस्थीसिया कंसल्टेंट डॉक्टर पूजा और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर सोनवीर गौतम थे। ब्लड ग्रुप रेयर होने की वजह से ब्लड बैंक में 3 से 4 ग्रुप बैकअप में रखे गए। ब्लड लॉस बचाने के लिए सर्जरी सीटीवीएस ओटी में की गई। क्योंकि अगर बीच में खून की नस फट जाती है तो खून बहने से रोकने के लिए मरीज को हार्ट लंग मशीन पर रखने के लिए बैकअप तैयार रखा गया था। सर्जरी का समय बहुत ही कम रखा गया जिससे कम से कम खून बहे।

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बिना ब्लड लॉस के ट्यूमर को निकाला गया

ऑपरेशन को सफलतापूर्वक तीन से चार घंटे में पूरा किया गया। बिना ब्लड लॉस के ट्यूमर को सफलता पूर्वक निकाला गया। मरीज की किडनी और मोटे खून की नस को भी फटने से बचाया गया। मरीज मैरिज पूरी तरह से स्वस्थ है ऑपरेशन के दूसरे ही दिन मरीज ने चलना फिरना और खाना पीना शुरू कर दिया। ओंको सर्जन डॉक्टर विनय कुमार कहते हैं कि इस तरह के कैंसर बहुत ही रेयर होते हैं। सबसे जरूरी था मरीज के खून को बहने से रोकना और उसकी किडनी को बचाना।

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खून की मोटी नस के पास चिपका हुआ था ट्यूमर

वर्टिब्रल सिम्पैथिक ट्रंक का ट्यूमर निकालने के बाद भी पैरों में और चलने में मरीज को कोई परेशानी नहीं हो रही है। सीनियर सीटीवीएस सर्जन डॉक्टर योगेश निवारिया का मानना है क्योंकि कैंसर खून की मोटी नस के पास (आईवीसी) से 10 सेंटीमीटर की लंबाई में चिपका हुआ था, ऑपरेशन के बीच-बीच में मोटी खून की नस कहीं-कहीं फट गई थी जिसे बगैर ब्लड लॉस के सफलतापूर्वक रिपेयर किया गया और मरीज को हार्ट लंग मशीन पर ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ी।

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