कमल वर्मा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश में ग्वालियर के पीएचई घोटाले के मास्टर माइंड हीरालाल खुलाके, लगभग 9 माह बाद पुलिस के हाथ आया है। पकड़े जाने के बाद उसने स्वयं को घोटाले से अलग बता कर स्टाफ के ऊपर ठीकरा फोड़ा है। समझा यह भी जा रहा है कि 9 माह की फरारी के दौरान वह पुलिस और विभाग की जांच व कार्रवाई से खुद को बचाने का षडयंत्र कानूनी विशेषज्ञों के साथ मिलकर रच चुका होगा।
दरअसल ग्वालियर में पीएचई में हुए घोटाले का खुलासा 27 जुलाई को हुआ और तत्काल जांच शुरू कर दी गई थी, शुरू में ही पंप ऑपरेटर हीरालाल का नाम सामने आ गया था, लेकिन उसकी गिरफ्तारी लगभग 9 माह बाद हुई। जांच टीम ने 26 दिन की जांच के बाद रिपोर्ट सौंपी। लेकिन इस रिपोर्ट पर एफआईआर में नाम बढ़ाने की प्रक्रिया रिपोर्ट बनने के 22 दिन बाद पूरी की गई। इसमें कुल 18 करोड़ 92 लाख 25 हजार 399 रुपए का गलत खातों में भुगतान होने की खुलासा किया गया है।
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रिपोर्ट में कुल 65 खातेदारों के 81 खातों में गलत भुगतान की बात सामने आई है। 27 जुलाई को जब खुलासा हुआ था तब 71 खातों में 16 करोड़ 42 लाख 13 हजार 853 रुपए की गड़बड़ी बताई गई थी। इस मामले में तैनात रहे 7 कार्यपालन यंत्रियों सहित खाते धारकों को ही आरोपी बनाया गया है।
बतादें कि, खुलासे के बाद प्रारंभिक जांच में पुलिस को बेला की बावड़ी पर होटल नमनराज का निर्माण घोटाले के सुबूत मिले थे। सूचना यह भी थी कि आरोपी ने इंदौर में प्रोपर्टी कारोबारियों की पार्टनरशिप में बड़ी रकम इनवेस्ट की है। इसका खुलासा होटल नमनराज के संबंध में एक खातेदार ने पुलिस के सामने पूछताछ में किया था। इस पर होटल की बिक्री रोकने के लिए एएसपी ऋषिकेश मीणा ने एसडीएम को पत्र भी लिख दिया था। अब पुलिस घोटाले की रकम के ट्रांसफर की लिंक जोड़कर आरोपी को घोटाले का मास्टर माइंड साबित कर सकती है, लेकिन यह आसान नहीं होगा।
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