आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली में खुद को स्वस्थ रख पाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. काम के दबाव ने लोगों के खाने-पीने, सोने-जागने और उठने-बैठने तक को प्रभावित कर रखा है.

इससे इंसान तमाम जानलेवा बीमारियों की जद में आ रहा है. हार्ट अटैक की बीमारी इनमें से एक है. इन दिनों हार्ट अटैक एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है. दुनियाभर में इससे जान गवांने वालों की फेहरिस्त लंबी है. डॉक्टर्स दिल की बीमारियों को अधिक तनाव की वजह बताते हैं, लेकिन ज्योतिष में कुछ ग्रहों को भी इसका कारण बताया गया है.


कुछ लोगों की कुंडली में कुछ विशेष योग होते हैं, जिस वजह से उनके संयोग में हृदयरोग होता है. जन्मकुंडली में सूर्य ग्रह यदि शत्रु राशि में हो, चतुर्थ भाव में हो अथवा पाप पीड़ित हो तो धमनी में अवरोध उत्पन्न हो सकता है.
चंद्रमा- चंद्रमा मन और मस्तिष्क का कारक होता है.

इसलिए खराब चंद्रमा को भी हृदय रोग का कारक माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार, जिन लोगों की जन्म कुंडली में चन्द्रमा यदि शत्रुग्रही है तो हृदयरोग उत्पन्न होने का खतरा बढ़ सकता है.

heart-attack


सूर्य– ज्योतिष के अनुसार, सूर्य पिता और आत्मा का कारक ग्रह होता है. इसकी शुभ-अशुभ स्थितियों के आधार पर हृदय रोग के बारे में भी जानकारी की जा सकती है. बता दें कि, सूर्य यदि कुम्भ राशिगत हो तो धमनी में अवरोध पैदा करता है.


शुक्र– ज्योतिष के अनुसार, शुक्र ग्रह भी दिल के रोग की ओर इशारा करता है. ऐसे में जिन लोगों की जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह यदि मकर राशिगत होता है तो ऐसे जातकों में हृदय रोग होने का खतरा बढ़ सकता है.


राहु-शनि– ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि, जिन लोगों की कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य का राहु-शनि से योग भी हार्ट अटैक देता है. ऐसे में इससे निजात पाना बेहद जरूरी हो जाता है.


सूर्य चतुर्थ भाव– ज्योतिषशास्त्र में यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य ग्रह यदि चतुर्थ भाव हो या पाप ग्रहों से पीड़ित हों तो हृदयरोग हो सकता है. ऐसे लोगों को कई और भी दिक्कतें हो सकती हैं.


हार्ट अटैक बड़े कारक

ऐसे बहुत से योग हर कुंडली के लिए अलग-अलग हैं परंतु मुख्यत: दिल की बीमारी सूर्य-शनि और दिल का दौरा शनि-मंगल, राहु देते हैं. इनसे समय रहते छुटकारा पाना बेहद जरूरी है.