नई दिल्ली . पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रेमलता सिंह ने नई दिल्ली में दोनों नेता भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो गए. 2014 में बीरेंद्र सिंह ने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में वह इस्पात मंत्री और ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री थे. उनके बेटे, बृजेंद्र सिंह, जो हिसार से बीजेपी के सांसद थे, उन्होंने पिछले महीने ही भाजपा और लोकसभा दोनों से इस्तीफा दे दिया था और कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे.

विचारधारा की वापसी

कांग्रेस में वापसी के बाद चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा, “मेरा कांग्रेस में शामिल होना न सिर्फ घर वापसी है, बल्कि ये विचारधारा की वापसी भी है. मैं ये बात इसलिए कह रहा हूं- क्योंकि मैंने मान्यताओं को निभाया है. देश में नेताओं के लिए व्यावहारिक रूप से कुछ गरिमा व मान्यताएं हैं, जिन्हें निभाना चाहिए क्योंकि मान्यताओं को निभाने से ही हमारा देश मजबूत होगा.”

बीरेंद्र सिंह ने कहा कि जब मैंने कहा कि मैं कांग्रेस में जाकर अपनी बात कहूं तो जयराम रमेश जी से पहली बार संपर्क हुआ. जब मैंने जिक्र किया तो उनके शब्द थे, जिसकी जरूरत इस देश की पॉलिटिक्स में है. उन्होंने कहा कि आप बेशक विपक्ष में रहे हैं लेकिन आपकी मौजूदगी बीजेपी में मर्यादित रही. आपने किसी पार्टी के बारे में छोटी बात नहीं की.

भाजपा किसान हितैषी नहीं

बीरेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस एक बड़ी शक्ति के रूप में आगे बढ़ेगी. कार्यकर्ता मजबूती से कदम आगे बढ़ाएंगे. भाजपा ने हरियाणा में 10 साल में किसी को अपना नहीं बनाया. बीरेंद्र सिंह ने कहा कि वह सोनिया गाँधी से माफ़ी मांग कर बीजेपी में गए थे. भाजपा के लिए भी कभी घटिया बात नहीं बोलेंगे. उन्होंने भाजपा में रहते हुए किसानों का मसला सुलझाने की कोशिश की है, लेकिन भाजपा किसान हितैषी नहीं है.

बीरेंद्र सिंह की वापसी के वक्त हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा, पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक, रणदीप सिंह सुरजेवाला समेत कई नेता मौजूद थे.