नीरज काकोटिया, बालाघाट। लोकसभा चुनाव में हर पार्टी प्रत्याशी या निर्दलीय प्रत्याशी अपने-अपने अंदाज में वोटरों को रिझा रहा है, तो कोई बड़े नेताओं के साथ चाय और चाट-गुपचुप खाकर खुद को जनता के करीबी बता रहा हैं। लेकिन बालाघाट संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे दिलीप छाबड़ा इन दिनों लोगों का ध्यान खींच रहे हैं।

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दरअसल 50 साल के दिलीप दिव्यांग हैं जो चलने फिरने मे असमर्थ है और पेशे से चार्टेट अकॉउंटेंट (सीए) है। उन्होंने इस बार निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। वार्ड नं -16 निवासी दिलीप अपनी स्कूटर से लोगों तक पहुंच रहे हैं। चलने-फिरने में असमर्थ दिलीप स्कूटर पर बैठे-बैठे लोगों को अपने कंप्यूटर चुनाव चिन्ह का पंपलेट बांट रहे हैं, और चुनाव का प्रचार प्रसार कर रहे है।

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बालाघाट सिवनी लोकसभा संसदीय सीट से कंप्यूटर निशान लेकर निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे दिव्यांग चार्टेट अकॉउंटेंट (सीए) दिलीप छावड़ा अपनी दिव्यांगता को पीछे छोड़ते हुए आज बड़े बड़े राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशियों के बीच चुनावी मैदान में डटे हुए है । दिलीप छाबड़ा कहते है कि वे विकास के मुद्दों को लेकर लोकसभा चुनाव लड़ रहे है। उनका कहना है कि वह सांसद के रूप में देश के काम आ सके और लोगों की मदद कर सके, इसलिए उन्होंने राजनीति में आने का फैसला लिया है।

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दिव्यांग दिलीप का मानना है कि विकास के मामले में बालाघाट पिछड़ा हुआ जिला है । जिले में प्रचुर मात्रा में खनिज ,वन संपदा होने के बाद भी उद्योग धंधे न होने के कारण बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल रहा है। जिले की जनता को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही ही।

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