कुशीनगर. हत्या के चार आरोपितों को साक्ष्यों के अभाव में शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट ने एक फैसले में चारो आरोपियों को बरी कर दिया. इनके बरी होने के बाद आरोपियों के परिजनों में खुशी की लहर छा गई. जिसका सारा श्रेय उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता स्व. जगदम्बा प्रसाद सिंह को दिया, जिन्होंने अपने अन्तिम समय तक केश के संबंध में न्यायालय में अपना पक्ष मजबूती से रखा. जिसके चलते आज उनको न्याय मिला हैं.
फास्ट ट्रेक कोर्ट प्रथम न्यायालय से हत्या के चार आरोपी हुए दोषमुक्त करते हुए शुक्रवार को फैसला सुनाया मामले में अंतिम जिरह कर रहें वरिष्ठ अधिवक्ता खान शफिउल्लाह ने इस फैसले को दंड विधि के स्थापित सिंद्धान्तो के अनुसार बताया विगत वर्षो हुई हत्या के मामले मे चार अभियुक्त माननीय फास्ट्रेक कोर्ट प्रथम ने शुक्रवार को तमाम जिरह और साक्ष के आधार पर फैसला सुनाते हुए चारों अभियुक्तों को दोषमुक्त कर दिया. मुकदमा अपराध सख्या 412/19 ,302,34,120 बी थाना कोतवाली हाटा मे दर्ज मुकदमें में मृतक राधेश्याम शर्मा के पुत्र अजय शर्मा ने दो लोगो के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कराई घटना के साजिस करने के आरोप में ललिता कटियार, सोनू उर्फ आदर्श सिंह को आरोपित विवेचक द्वारा बनाया गया.
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मृतक राधेश्याम शर्मा पेशे से अध्यापक झोला छाप डाक्टर थे. मृतक का शव दुबौली कौआसार के बीच में कच्चे रास्ते के बगल में सागौन के पेड़ो के बीच मृत अवस्था में पाया गया दुश्मनी के अधार पर अभियुक्तगण रामगोपाल व तेजप्रताप को आरोपित किया गया. विवेचक द्वारा साजिस के आरोप में ललीता कटियार, सोनू उर्फ आदर्श सिंह को आरोपित किया, जिसका उन्होंने सामना किया इस मामले के साक्षी श्रीराम विस्वकर्मा पुत्र ठगई मंजीत गुप्ता पुत्र भरत गुप्ता, डोमा धोबी पुत्र जघन बताए गए जिन्होंने अभियुक्त गण को भागते हुए का कवि कथन किया था जिनके बयान विरोध था जिसमें न्यायालय ने विश्वसनीय नहीं माना विवेचक द्वारा त्रुटि पूर्ण विवेचन किया जाना पाया गया.
आला कत्ल बकवा था या दाब था यह सिद्ध करने में अभियोजन सिद्ध नहीं कर सके. आला कत्ल इस केश से सम्बन्ध अस्थापित न होने के कारण अभियुक्त तेजप्रताप सिंह के कपड़े के संबंध में विधि विज्ञान प्रयोगशाला के आख्या के अनुसार संबंध न होने व बहुत तृतीय के कारण से माननीय न्यायालय ने अभियोजन का केस संदेह के आधार पर अभियुक्त को संदेह का लाभ देते हुए दोष मुक्त कर दिया प्रस्तुत विचारण वरिष्ठ अधिवक्ता स्वर्गीय जगदंबा प्रसाद सिंह द्वारा प्रारंभ किया गया, लेकिन उनके सख्त बीमार पड़ जाने के कारण वरिष्ठ अधिवक्ता खान सैफुल्लाह के द्वारा अभियुक्त गण की पैरवी की गई, जिस पर चारों अभियुक्त बाईज्जत बरी किए गए गए.
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