रायपुर। छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा तो मिल गया है, लेकिन सरकार ने आज तक छत्तीसगढ़ी को काम-काज और पढ़ाई-लिखाई का माध्यम नहीं बनाया है. ऐसे में lalluram.com ने एक मुहीम इस चुनाव में शुरू की है. आज से 6 महीने पहले ही सबसे पहले हमने छत्तीसगढ़ी में घोषणा-पत्र जारी करने को लेकर चर्चा आयोजित की थी. अब हम चाहते हैं कि राजभाषा छत्तीसगढ़ी में सभी राजनीतिक दल अपना घोषणा-पत्र जारी करें. जैसा कि अन्य राज्यों में हिन्दी और अंग्रेजी के साथ-साथ वहां की मातृभाषा भी में चुनावी घोषणा-पत्र जारी किया जाता है.

सभी राजनीतिक दलों से यह अपेक्षा है कि छत्तीसगढ़ की राजभाषा छत्तीसगढ़ी को मान-सम्मान दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ी में घोषणा-पत्र तो जारी करे ही साथ यह घोषणा भी करे कि वह छत्तीसगढ़ी को सरकारी काम-काज और पढ़ाई-लिखाई माध्यम भी बनाएंगे.
छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के संयोजक नंदकिशोर शुक्ल कहते हैं कि किसी भी प्रदेश की पहचान उसकी, बोली-भाषा से होती है, उसकी लोक संस्कृति से होती है. ऐसे में उसे बचाने, उसे सरंक्षित करने, उसे विकसित करने का काम होना चाहिए. किसी भी बोली-भाषा को तभी बचाया जा सकता है जब उसका प्रयोग सरकारी-काम-काज में हो, शिक्षा में.

वहीं देशी टॉक के जरिए छत्तीसगढ़ी को देश-दुनिया में पहुँचाने का काम कर रहे पत्रकार और एंकर संदीप अखिल कहते हैं कि स्वराज एक्सप्रेस और लल्लूराम डॉट कॉम के जरिए हम लगातार यह प्रसा कर रहे हैं कि छत्तीसगढ़ी भाषा को पूरा मान और सम्मान मिले. एेसे में हम यह उम्मीद करते हैं कि सभी राजनीतिक दल अपना घोषणा-पत्र छत्तीसगढ़ी में तो जारी करेंगे ही, जो भी दल सत्ता में आएगा वह छत्तीसगढ़ी को शिक्षा के साथ-साथ सरकारी काम-काज का माध्यम भी बनाएगा.