पुरूषोत्तम पात्र, गरियाबंद. राकांपा प्रवेश के बाद नामांकन के पहले भूमिगत हुए बीजेपी के प्रदेश सांस्कृतिक प्रकोष्ट के पदाधिकारी रामरतन मांझी ने अगवा होने की बात को सिरे से खारिज कर दिया. रामरतन मांझी ने शनिवार को अफसोस जताते हुए बताया कि पार्टी छोड़ना एक भूल थी. सीएम से भेंट करने के बाद मन बदल गया. उन्होंने कहा कि अब पार्टी के लिए मिलकर काम करेंगे.

दरअसल बिंद्रानवागढ़ सीट से टिकट नहीं मिलने से नाराज पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी न केवल पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, बल्कि राकांपा प्रवेश कर नामांकन फार्म भी खरीद लिया था. रामरतन मांझी के बगावती तेवर प्रतिद्वन्दी पार्टी को काफी फायदा पहुंचा सकती थी, लेकिन ठीक नामंकन भरने से पहले रामरतन मांझी 1 नवंबर को भूमिगत हो गए थे. आज घर वापस होकर उन्होंने मीडिया से चर्चा कर अपने अगवा होने की बात को सिरे से खारिज कर दिया.

मांझी ने कहा कि जो लोग लेने आया उनके द्वारा दिए गए तर्क के बाद स्वयं साथ जाने को राजी हुए. जिले के प्रभारी बृजमोहन अग्रवाल से भेंट कर उन्हें पार्टी का गमछा डालकर घर वापसी करवाया गया. इसके बाद उनकी मुलाकात सीएम रमन सिंह से हुई. सीएम ने उनसे कहा कि जिसकी जड़ आप लोगों द्वारा तैयार किया गया, उसे आप काटोंगे. सीएम ने उन्हें ये बताया कि टिकट की मांग पर पूरा विचार किया गया था. सरकार में बड़ी जवाबदारी देने का आश्वसन दिया गया है. मांझी ने कहा कि अब वो पार्टी के लिए काम करेंगे. तय प्रत्याशी के समर्थन में तन मन से प्रचार करेंगे.

 डैमेज कंट्रोल में बृजमोहन अग्रवाल की भूमिका रही अहम

2003 के चुनाव में बागी होकर रामरतन ने बता दिया था कि बगावत कितना महंगा पड़ जाता है. इस चुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई थी, इसलिए रामरतन के बगावती तेवर को रोकने ब्लॉक से लेकर जिला की टीम लामबद्ध हो गई थी, किसी को सफलता नहीं मिली. चुनाव का प्रभार संभाल रहे पार्टी के कद्दावर नेता बृजमोहन ने डैमेज कंट्रोल की कमान संभाली. इस टीम में जिला महामंत्री रिखीराम यादव व प्रदेश अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष गफ्फू मेमन को अहम जिम्मेदारी दी गई थी. जिसके बाद ही पार्टी को बढ़ा डैमेज को रोकने में सफलता मिली. रामरतन के शांत होने के बाद बीजेपी पदाधिकारियों ने राहत की सांस लिया है.