संदीप शर्मा, विदिशा। समय बदल रहा है… लोग बदल रहे हैं, लेकिन आज भी कई लोगों की सोच बहुत पीछे है। जहां आज कल हर मां बाप सोचते हैं कि उनके बच्चे जितना हो सके उतना पढ़े। हालांकि समाज में आज भी कुछ माता-पिता ऐसे हैं जो बचपन में ही अपने बच्चों के हाथ पीले कर देना चाहते हैं। ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश में विदिशा से सामने आया है। जहां सोशल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन एक्सेस टू जस्टिस फेस ने बाल विवाह रुकवाया।

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मामला लटेरी के ग्राम चमार उमरिया का है। जहां विदिशा सोशल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन एक्सेस टू जस्टिस फेस 2 के सदस्यों को लटेरी तहसील के अंतर्गत ग्राम चमार उमरिया में एक नाबालिग किशोरी के विवाह की सूचना मिली थी। शिकायतकर्ता से दस्तावेज लेने के बाद ऑर्गेनाइजेशन के सदस्यों ने पुलिस की मदद और महिला बाल विकास विभाग के सदस्यों के साथ लटेरी के ग्राम चमार उमरिया पहुंची और विवाह को रोकने का प्रयास किया।

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डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर दीपा शर्मा ने बताया कि विवाह रुकवाने में टीम के सामने काफी परेशानी आई। उन्होंने कहा जब टीम वहां पहुंची तो ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया और जान से मारने की धमकी दे डाली। यहां तक की बंधक बनाने का भी प्रयास किया गया। फिर उनारसी कला थाना से पुलिस टीम बुलाई गई। इसके बाद काफी देर तक समझाइश के बाद परिवार विवाह को टालने के लिए तैयार हुआ।

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बताया जा रहा है कि इस विवाह के दौरान दुल्हन की उम्र 15 साल और दूल्हे की उम्र 20 साल थी। इस लिहाज से दोनों की ही शादी बाल विवाह के रूप में हो रही थी। जिसे रुकवाया गया।

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