मनीषा त्रिपाठी, भोपाल। कोरोना काल के बाद लोगों का आयुर्वेदिक दवाओं की ओर रुझान बढ़ा है। छोटी से लेकर बड़ी बीमारियों के इलाज के लिए मरीज आयुर्वेद का सहारा ले रहे हैं। वहीं देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एम्स ने भी मरीजों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक उपचार करने की शुरुआत की है। एम्स ने हाल ही में शिरोधारा पद्धति से एक मरीज का इलाज किया है और उसकी 6 सालों की बीमारी को 3 महीने में ठीक कर दिया।

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एम्स भोपाल के डायरेक्टर अजय सिंह मरीजों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए इलाज की सभी विधाओं एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी, योग, सिद्धा अथवा होम्योपैथी के विकास के लिए प्रयासरत रहते हैं। उनके इन्हीं प्रयासों से आज एम्स भोपाल में उच्च स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही है। आयुर्वेद में एक चिकित्सा पद्धति है शिरोधारा, जिसकी उत्पत्ति हजारों साल पहले भारत में हुई थी। यह मरीज के शरीर में जीवन शक्तियों, जिन्हें दोष कहा जाता है, को पुनर्संतुलित करने पर केंद्रित है। इस विधा का इस्तेमाल अब एम्स भोपाल कर रहा है जिसकी सहायता से एक युवक अब चैन की नींद ले रहा है। 

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46 साल के नमन को पिछले 6 सालों से रात में ठीक से नींद नहीं आती थी। उनकी सारी रात करवटें लेते बीत जाती थी। उन्होंने कई जगह अपना इलाज कराया और नींद की गोलियां भी ली। पर जब तक दवा खाते तब तक तक ठीक रहते थे लेकिन बाद में फिर वही “ढाक के तीन पात”। आखिरकार, एम्स भोपाल के आयुष विभाग में डॉ दानिश जावेद को ओपीडी में दिखाया। उन्होंने नमन को शिरोधारा करवाने की सलाह दी। केवल एक महीने के इलाज के बाद ही मरीज की स्थिति में काफी बदलाव आने लगा। लगभग 3 महीने चले इलाज के बाद नमन अब रातों में चैन की नींद लेते हैं।    

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कैसे होता है शिरोधारा का उपचार 

शिरोधारा एक आयुर्वेदिक उपचार तकनीक है जिसमें रोगी के माथे पर औषधीय तेल, दूध या छाछ गिराया जाता है। शिरोधारा दो संस्कृत शब्दों – शिरो (सिर) और धारा (प्रवाह) से बना है। जिसमें रोगी के माथे पर तरल – आमतौर पर तेल, दूध, छाछ, या पानी – डालना शामिल है। इसे अक्सर शरीर, खोपड़ी या सिर की मालिश के साथ किया जाता है। यह जड़ी-बूटियों से संसाधित तेल, दूध या छाछ ऐसे बर्तन में डाल दिया जाता है, जिसके नीचे बीच में एक छोटा-सा छेद होता है उसी छेद से तेल माथे पर (दोनों आई-ब्रो के बीच) गिराया जाता है। 

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आंखों को बचाने के लिए उसे पट्टी से ढक दिया जाता है। शिरोधारा का शरीर और दिमाग पर आरामदायक, सुखदायक और शांत प्रभाव पड़ता है। शोध से यह भी पता चलता है कि शिरोधारा थकान कम करता है, नींद संबंधी समस्याओं में फायदेमंद, सिरदर्द में सुधार ,तनाव, चिंता और अवसाद को कम करता है, एकाग्रता में सुधार और ब्लड-प्रेशर को कम करने में सहायक होता है। पिछले केवल एक माह में लगभग 70 मरीजों ने इसका लाभ उठाया।

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