Rajasthan News: अजमेर. स्थाई लोक अदालत अजमेर ने प्रवेश निरस्त कराने पर फीस नहीं लौटाने के मामले में भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) उदयपुर को सेवा में कमी का दोषी मानते हुए आदेश दिया है कि वह प्रार्थी हर्षित यादव की जमा फीस छह प्रतिशत ब्याज सहित लौटाए.
अदालत ने प्रतिवादी आईआईएम उदयपुर की ओर से सुनवाई के क्षेत्राधिकार को चुनौती देने वाली अर्जी को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि प्रवेश पत्र अथवा किसी फॉर्म में विवाद की स्थिति में सुनवाई का क्षेत्राधिकार केवल उदयपुर न्यायालय क्षेत्र होना लिख देना पर्याप्त नहीं है. प्रकरण के अनुसार फ्रेजर रोड निवासी हर्षित ने आई आईएम उदयपुर में प्रवेश लेने के लिए 30 मई 2020 को 75 हजार रुपये कमिटमेंट फीस और उसके बाद 2.15 लाख रुपए फर्स्ट टर्म की फीस (कुल 2.90 लाख रुपए) जमा कराएथे.
कोविड के कारण उसने आईआईएम उदयपुर कोई-मेल कर उसका प्रवेश निरस्त कर जमा संपूर्ण फीस वापस लौटाने को लिखा था. उसने इस संबंध में यूजीसी नोटिफिकेशन का हवाला भी दिया था, लेकिन संस्थान ने आईआईएम एक्ट का हवाला देकर प्रवेश निरस्त कराने पर फीस नहीं लौटाने से इंकार कर दिया.
अदालत ने यूजीसी के नोटिफिकेशन लागू होने के संबंध में आईआईएम का आग्रह अस्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि यूजीसी अधिनियम 1956 प्रभावी है. उन्होंने आदेश में लिखा है कि आईआईएम की स्थापना केन्द्रीय विधिक के अंतर्गत हुई है, इसलिए आई आईएम संस्थान यूजीसी के अंतर्गत ही है.
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