हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का महत्व बेहद खास माना जाता है. किसी भी पवित्र कार्य की शुरुआत करने से पहले गंगा स्नान या गंगाजल से छिड़काव कर उसे शुद्ध किया जाता है. गंगा दशहरा को गंगावतरण के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि इसी दिन माता गंगा भगवान शिव के जटाओं से निकलकर धरती पर अवतरित हुई थी. इस बार गंगा दशहरा 16 जून को मनाया जाएगा। इस बार का ये पर्व बेहद ही खास होने वाला है क्योंकि इस दिन बहुत से शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है। खास बात यह है कि यह योग 100 साल बाद बन रहा है।जिस व्यक्ति पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है उसे जीवन में किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। वहीं, अगर पितृ नाराज हो जाएं, तो व्यक्ति को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है। जिस कारण जीवन में कई तरह की दिक्कतें पैदा हो जाती हैं।
यदि आप भी पितृ दोष से परेशान हैं, इस गंगा दशहरा पर करें यह उपाय:
पीपल के पेड़ की पूजा
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पीपल के पेड़ में जल अर्पित करना चाहिए, क्योंकि इसमें पितरों का भी वास माना गया है। इसके साथ ही पूजन के दौरान पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। साथ ही वृक्ष के नीचे दीपक में सरसों का तेल और काले तिल मिलाकर छाया दान करें।
काले तिल का उपाय
पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए जल में काले तिल मिलाकर दक्षिण दिशा की ओर अर्घ्य देना चाहिए। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या और पितृ पक्ष में श्राद्ध, पिंडदान आदि कर्म करने से पितृ प्रसन्न होते हैं, जिससे पितृ दोष लगने का खतरा नहीं रहता।
शाम के समय करें ये काम
पितृ दोष से निजात पाने के लिए हर रोज शाम के समय आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें। इसके बाद मिट्टी के दीए में तेल डालकर बाती जलाएं और छत पर दक्षिण दिशा में रख दें। इसके साथ ही पितरों से कुशल मंगल की कामना करें। आप चाहें तो गोबर से बने दीए का भी प्रयोग कर सकते हैं। इससे पितृ प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
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