पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में एक बड़ा ट्रेन हादसा हुआ. इस हादसे में एक मालगाड़ी ने सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी, जिससे एक्सप्रेस की कई बोगियां पटरी से उतर गई. इस हादसे में कई लोगों की मौत हो चुकी है और बहुत से लोग घायल हैं. अब सवाल आता है कि इस हादसे में ‘कवच’ सिस्टम ने काम क्यों नहीं किया. यहां बताने जा रहे हैं कि रेलवे का कवच सिस्टम क्या है, कैसे काम करता है. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.
क्या है ‘कवच’ सिस्टम
रेलवे ने हो रहे रेल हादसों को रोकने के लिए 2012 में “कवच” पर काम करना शुरू किया था. “कवच” एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसका एक ही काम है और वो रेल हादसों को रोकना है. रेलवे ने इस सिस्टम को रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (RDSO) की मदद से डेवलप किया है. पहले इसका नाम Train Collision Avoidance System (TCAS) था. “कवच” का सबसे पहले ट्रायल 2016 में शुरू हुआ था, जिसका अब चरणबद्ध तरीके से रेलवे इंस्टालेशन कर रहा है. फिलहाल “कवच” को 1,500 किलोमीटर से अधिक ट्रैक पर इंस्टाल कर दिया गया है. सरकार का प्लान इसे 34,000 किलोमीटर तक कवर करने का है.
कैसे काम करता है ‘कवच’
“कवच” सिस्टम लोको पायलट के सिग्नल तोड़ते ही एक्टिव हो जाता है. इसके बाद सिस्टम लोको पायलट को अलर्ट करता है और ट्रेन के ब्रेक्स को अपने कंट्रोल में ले लेता है. इसके अलावा Radio Frequency Identification पटरियों और स्टेशन यार्ड तथा सिग्नल पर पटरियों की पहचान करने में और ट्रेन की दिशा का पता लगाने के लिए लगाए जाते हैं. जब सिस्टम सक्रिय होता है तो 5 किमी के भीतर सभी ट्रेनें रुक जाती है, ताकि बगल की पटरी पर मौजूद ट्रेन सुरक्षित रूप से गुजर सके.
क्यों ‘कवच’ नहीं आया काम
इसकी वजह यह है कि अभी कवच इस रूट पर नहीं लगा है. क्या कवच सिस्टम पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल में कहीं भी नहीं है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इसे यहां ले जाने की योजना है. इस साल 3 हजार किमी पर कवच सिस्टम लगेगा, उसमें दिल्ली-हावड़ा रूट भी है. पश्चिम बंगाल के लिए कवच का प्रसार और योजना बनाने की जरूरत है.
लोको पायलट ने किया सिग्नल का उल्लंघन
रेलवे बोर्ड ने अपने शुरुआती बयान में कहा कि मालगाड़ी के चालक ने सिग्नल का उल्लंघन किया था. उसने हादसे में मरने वालों की संख्या पांच बताई. हालांकि, कुछ स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि मरने वालों की संख्या 15 तक हो सकती है. सूत्रों ने कहा कि जांच से ही पता चल सकेगा कि क्या मालगाड़ी को खराब सिग्नल को तेज गति से पार करने के लिए ‘टीए 912’ दिया गया था या फिर लोको पायलट ने खराब सिग्नल के नियम का उल्लंघन किया था.
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