अजयारविंद नामदेव, शहडोल। आज हमारे देश में किसी बच्चे को श्रम करते हुए देखना आम बात हो गई है। बाल मजदूरी को दबंगों और माफियाओं ने व्यापार बना लिया है, जिसके कारण दिन-प्रतिदिन हमारे देश में बाल श्रम का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। ऐसा ही एक मामला शहडोल से सामने आया है। जिसे देख आप भी हैरान रह जाएंगे।

जो अपनी पैंट नहीं संभाल पा रहे उनके हाथों में फावड़ा

देश में बाल श्रम का आंकड़ा बढ़ाने में शहडोल का नाम भी जुड़ गया है। ताजा मामला शहडोल जिले खैरहा थाना क्षेत्र के ग्राम हरदी से सामने आया है। जहां दबंग द्वारा छोटे-छोटे मासूम बच्चों से मजदूरी कराया जा रहा। आलम ये है कि जो बच्चे अच्छे से अपनी पैंट नहीं संभाल पा रहे उनके हाथों में फावड़ा तसला पकड़ा कर उनसे मजदूरी कराई जा रही है। इस बाल मजदूरी का वीडियो सोशल साइट में तेजी से वायरल हो रही है। लल्लूराम इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता।

सरकार की योजनाएं Fail

केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकारों ने बाल श्रम रोकने के लिए न जाने कितने कानून बनाए हैं और न जाने कितनी योजनाएं बनाई गई है। जिसमें उनकी पढ़ाई से संबंधित योजनाएं भी शामिल हैं। जैसे सरकारी स्कूल में मुफ्त शिक्षा और मिडडे मील जैसे महत्वपूर्ण योजनाएं हैं। बाबजूद इसके बाल श्रम पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। जिसका जीता जगता उदाहरण शहडोल जिले खैरहा थाना क्षेत्र के ग्राम हरदी में देखने को मिल रहा।

आदिवासी बच्चों से कराया जा रहा काम

यहां दबंग द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्य के लिए क्षेत्र के आदिवासी मामसू बच्चों से काम कराया जा रहा है। आलम ये है कि उन मासूम बच्चों के हाथ में फावड़ा तसला पकड़ा कर निर्माण कार्य के लिए सीमेंट रेत का मिश्रण बनवाया जा रहा है। विडियो में साफ तौर पर उन मासूमों को देखा जा सकता है की बच्चे ठीक से अपनी पैंट तक नहीं संभाल पा रहे हैं और उनसे कठिन मजदूरी कराया जा रही है। असहाय लाचार बच्चे उस काम को बेमन से कर रहे है।

सभ्य समाज के लिए है ये एक कलंक

आज समय आ गया है कि हमें इस विषय पर बात करने के साथ-साथ अपनी नैतिक ज़िम्मेदारियां भी समझनी होंगी। बाल मजदूरी को जड़ से उखाड़ फेंकना हमारे देश के लिए आज एक चुनौती बन चुका है, क्योंकि बच्चों के माता-पिता ही बच्चों से कार्य करवाने लगे हैं। बाल श्रम भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में गैर कानूनी घोषित किया जा चुका है। यह किसी भी सभ्य समाज के लिए एक कलंक है।

मासूमों को भी है सम्मान से जीने का हक

हैरत की बात यह है कि जैसे जैसे हम खुद को शिक्षित और सभ्य कहला रहे हैं, वैसे वैसे यह समस्या और इसके आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। यदि समय रहते इस बुराई को जड़ से मिटाया नहीं गया, तो इससे पूरे देश का भविष्य संकट में आ सकता है। क्योंकि बच्चे ही देश का भविष्य होते हैं और उन्हें भी सम्मान से जीने का हक है। यह हक उन्हें देश का संविधान देता है।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m