(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

कैंटिन बनी पीसीसी के लिए डबल खर्चा!

मध्यप्रदेश कांग्रेस में नई कैंटिन खोली गई है, ये पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के लिए काफी सुविधाजनक है, लेकिन पीसीसी के लिए ये डबल खर्चा बन रही है। कुछ दिन पूर्व कांग्रेस के एक प्रकोष्ठ ने सीएम हाउस घेराव का ऐलान किया। प्रदर्शन के 1 दिन पहले प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों के साथ कार्यालय में बैठक हुई और तय हुआ कि कार्यकर्ताओं के लिए 500 पैकेट पूड़ी-सब्जी के बनवाए जाए। पीसीसी के एक जिम्मेदार पदाधिकारी ने इसे कम करने के सलाह दी, लेकिन प्रकोष्ठ के पदाधिकारी अड़ गए कार्यकर्ता भूखे नहीं जाएंगे। अगले दिन जब प्रदर्शन शुरू हुआ तो सिर्फ 50 कार्यकर्ता पहुंचे और प्रदर्शन पूरी तरह सुपर फ्लॉप रहा।

हर जगह फोन घनघनाया नहीं मिली नेताजी को मदद

मध्यप्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता नेता ने अपने समर्थक पर बुलडोजर की कार्रवाई रुकवाने के लिए ऊपर से नीचे तक अधिकारियों से लेकर मंत्री तक फोन घनघनाया, लेकिन कहीं से मदद हाथ नहीं लगी। बताया जाता है सब एक दूसरे पर थोपते रहे और इन्हीं सबके बीच समय बीतता चला गया। बुलडोजर लेकर पहुंचे अधिकारी भी इतनी तेजी में थे कि 30 मिनट में कार्रवाई खत्म कर वापस लौट गए।

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नहीं चाहिए नर्सिंग का कलंक!

नर्सिंग काउंसिल को आशा दुबे के तौर पर नया रजिस्ट्रार मिल गया है, लेकिन खबर है कि रजिस्ट्रार बनाई गई आशा दुबे पद नहीं संभालना चाहती है। बताया जाता है कि वो नर्सिंग घोटाले का कलंक नहीं लेना चाहती है। साथ ही वो पद के लिए वो एलिजिबल भी नहीं है। इसलिए वो अपने ऊपर किसी तरह का आरोप भी लगवाना चाहती है। आशा दुबे फिलहाल उज्जैन नर्सिंग महाविद्यालय में सिस्टम ट्यूटर के पद पर पदस्थ हैं।

और आखिरी समय पर बन गया बीजेपी में जश्न

अमरवाड़ा उपचुनाव में बीजेपी को आखिरी समय पर जीत मिल गई। 20 राउंड की हुई वोटों की गिनती में 70 फीसदी मतों की गिनती के दौरान कांग्रेस आगे रही। जश्न की तैयारी भी हो गई थी। बीजेपी की खेमे में मायूसी छा गई थी, लेकिन आखिरी तीन राउंड में ऐसा पासा पलटा की मायूसी खुशी में तब्दील हो गई और जश्न का ऐलान कर दिया गया। बीजेपी दफ्तर में विधि प्रकोष्ठ की बैठक चल रही थी। दो डिप्टी सीएम भी वहीं मौजूद थे, फिर क्या था बैठक जश्न में तब्दील हो गई।

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मानसून के बीच जांच की बाढ़

तेज बारिश में बाढ़ आना आम बात है, लेकिन पांच दिन के विधानसभा सत्र में अफसरों के पास जांच की बाढ़ आ गई। कारण रहा विधायकों की ओर से उठाए गए अधिकांश सवालों पर जांच का आश्वासन जो दे दिया गया। अब विधानसभा का सत्र समाप्त होने पर अफसरों ने विधानसभा की कार्यवाही खंगाली तो वो भौंचक्के रह गए। क्योंकि दर्जनों मामलों की जांच करने भोपाल से टीम रवाना करना है।

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