Mangala Gauri Vrat Date Or Katha : हिन्दू धर्म में मंगला गौरी व्रत का बहुत महत्व माना जाता है.पंचांग के अनुसार, सावन में पड़ने वाले मंगलवारों पर मंगला गौरी व्रत रखा जाता है.इस साल पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई को पड़ रहा है.भगवान शंकर को जिस तरह से सावन मास प्रिय है. ठीक उसी तरह से मां पार्वती को भी सावन का महीना अत्यंत प्रिय है.
सावन महीने में सोमवार के दिन भगवान शंकर की पूजा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है. वहीं सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखने से मां पार्वती की कृपा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है. मंगला गौरी का व्रत सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं दोनों करती हैं. इस दिन पूजा-व्रत के साथ ही कुछ खास उपाय करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं, वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और कुंडली में मंगल दोष दूर होता है.
क्या है मान्यता (Mangala Gauri Vrat Date Or Katha)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धर्मपाल नाम का एक धनी सेठ और उसकी एक बीवी थी. सेठ धर्मपाल की पत्नी काफी रूपवान थी. उनके जीवन में धन-धान्य, संपन्नता की कोई कमी नहीं थी किंतु उनकी कोई संतान न होने से धर्मपाल और उसकी पत्नी हमेशा दुखी रहते थे.बहुत वर्षों के बाद भगवान की पूजा-अनुष्ठान करने के बाद ईश्वर की कृपा से धर्मपाल और उसकी पत्नी को एक संतान की प्राप्ति हुई किंतु उसकी संतान को अल्पायु का श्राप था. इस श्राप के कारण उसकी मृत्यु 16 वर्ष की आयु में ही हो जाती. ईश्वर की कृपा से धर्मपाल की संतान का विवाह 16 वर्ष से पहले ही हो गया. जिस कन्या से धर्मपाल के बेटे का विवाह हुआ था, वह कन्या सावन के महीने में मां गौरी की पूजा-आराधना करती थी. वह मंगला गौरी का व्रत रखकर मां गौरी की पूजा करती थी जिस कारण माता पार्वती ने उस कन्या को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया था. माता पार्वती के आशीर्वाद से वह कन्या अखंड सौभाग्यवती हुई और उसका पति 100 वर्षों तक जीवित रहा. तब से ही मंगला गौरी व्रत की महिमा है और सभी विवाहित-अविवाहित स्त्रियां-कन्याएं माता पार्वती की प्रसन्नता के लिए इस व्रत को विधि विधान से रखती है.
मंगला गौरी व्रत तिथि
- पहला मंगला गौरी व्रत – 23 जुलाई
- दूसरा मंगला गौरी व्रत – 30 जुलाई
- तीसरा मंगला गौरी व्रत – 6 अगस्त
- चौथा मंगला गौरी व्रत – 13 अगस्त
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