Asaduddin Owaisi On Bill to amend Waqf Act: मोदी सरकार (Modi government) वक्फ बोर्ड में बड़े संशोधन करने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है। संशोधन बिल सरकार कल (5 अगस्त) को इसे संसद में पेश कर सकती है। इसी बीच हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मोदी की हुकुमत वक्फ बोर्ड के अधिकार को छीनना चाहती है।

Waqf Act: वक्फ एक्ट में बड़े संशोधन की तैयारी में मोदी सरकार, कल संसद में पेश हो सकता है बिल, जानिए क्यों इसे हिंदुओं की संपत्ति छीनने वाला अधिनियम कहा जाता है

हैदराबाद सांसद ने कहा कि मोदी की हुकुमत वक्फ बोर्ड के अधिकार को छीनना चाहती है। बीजेपी (BJP) हमेशा से वक्फ बोर्ड (Waqf Board) के खिलाफ रही है। बीजेपी वक्फ बोर्ड  को खत्म करना चाहती है।

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ओवैसी ने केंद्र सरकार पर वक्फ बोर्ड में संशोधन की जानकारी मीडिया में लीक करने का भी आरोप लगाया। AIMIM चीफ ने कहा कि यह जानकारी सरकार को पहले संसद में देना चाहिए। बीजेपी अगर वक्फ बोर्ड की सर्व करायेगी तो उसका नतीजा क्या होगा।

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मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कही ये बात

वक्फ अधिनियम में संशोधन का बिल को लेकर मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, ‘जहां तक वक्फ का मामला है, हमारे बुजुर्गों ने वक्फ के लिए अपनी प्रॉपर्टी दान की है और इसमें एक इस्लामिक लॉ भी है। जब एक बार वक्फ को जमीन कर दी जाती है तो उसे न बेचा जा सकता है और न ही खरीदा जा सकता है। भारत में 60 फीसदी वक्फ की प्रॉपर्टी में मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान आते हैं।

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उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे देश में वक्फ अधिनियम 1995 हैं, जिसमें 2013 में संशोधन किया गया। इसी के तहत वक्फ प्रॉपर्टी को मैनेज किया जा रहा है। सरकार को वक्फ की प्रॉपर्टी पर मौजूद सरकारी दुकानों पर ध्यान देना चाहिए। इन दुकानों को लेकर हमारी यही मांग रही है कि किराया वक्फ को समय पर मिलना चाहिए। मुझे लगता है कि सरकार एक्ट में जो बदलाव करने जा रही है, उसमें किसी तरह की कोई जरूरत नहीं है. अगर ऐसा किया जा रहा है तो सभी की राय लेनी चाहिए।

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वक्फ़ बोर्डों के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां

सरकारी सूत्रों के अनुसार वक्फ़ बोर्डों के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, यानी कि वक्फ़ बोर्ड की संपत्ति करीब 9.4 लाख एकड़ है। 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने बेसिक वक्फ़ एक्ट में संशोधन लाकर वक्फ बोर्डों को और अधिकार दिए थे।

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क्यों इसे हिंदुओं की संपत्ति छीनने वाला अधिनियम कहा जाता है

  • वक्फ अधिनियम सर्वप्रथम 1954 में पारित किया गया था, लेकिन बाद में 1995 में इसे नए संस्करण द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया, जिससे वक्फ बोर्डों को अधिक शक्तियां प्रदान की गईं।
  • 2013 में अधिनियम में और संशोधन करके वक्फ बोर्डों को कानूनी चुनौती के बिना संपत्ति अर्जित करने के व्यापक अधिकार प्रदान किये गये।
  • 2014 में कांग्रेस पार्टी ने इसी कानून का इस्तेमाल करके दिल्ली में 123 प्रमुख संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप हिंदुओं की जमीन चली गई।
  • वक्फ बोर्ड को अब मुस्लिम चैरिटी के नाम पर संपत्तियों पर दावा करने का अधिकार है।
  • यह अधिनियम मूलतः पाकिस्तान से आये हिन्दुओं और विभाजन के दौरान भारत छोड़ने वाले मुसलमानों के बीच संपत्ति विवादों से उत्पन्न हुआ था।
  • वर्तमान में, वक्फ बोर्ड के अधीन 8,54,509 से अधिक संपत्तियां हैं, जिनमें आठ लाख एकड़ से अधिक भूमि शामिल है।
  • वक्फ बोर्ड ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी संपत्ति में काफी विस्तार किया है, हालांकि देश में कुल भूमि का आकार वही है।
  • बोर्ड अक्सर कब्रिस्तानों और अवैध धार्मिक स्थलों के आसपास की भूमि को अपनी संपत्ति मान लेता है, जिसके कारण अतिक्रमण होता है।
  • वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 3 बोर्ड को बिना किसी सबूत की आवश्यकता के केवल अपनी “सोच” के आधार पर भूमि पर दावा करने की अनुमति देती है।
  • यदि बोर्ड किसी संपत्ति पर दावा करता है, तो मालिक अदालत नहीं जा सकता, बल्कि उसे वक्फ न्यायाधिकरण न्यायालय में जाना होगा।
  • अधिनियम की धारा 85 न्यायाधिकरण के निर्णय को अंतिम बनाती है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय भी चुनौती नहीं दे सकता।
  • अधिनियम की धारा 40 के तहत साक्ष्य प्रस्तुत करने का भार भूमि स्वामी पर डाल दिया गया है, जिससे बोर्ड के दावों का विरोध करना अत्यंत कठिन हो गया है।
  • भारत में वक्फ अधिनियम अद्वितीय है, क्योंकि हिंदुओं, ईसाइयों या सिखों के लिए समान कानून नहीं हैं।
  • इसके विपरीत, 1991 का उपासना स्थल अधिनियम धार्मिक स्थलों को उसी रूप में संरक्षित करता है, जैसा वे भारत की स्वतंत्रता के समय थे।
  • भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में वक्फ अधिनियम का अस्तित्व संदिग्ध है, क्योंकि यह एक धार्मिक समूह को विशेष अधिकार देता है।
  • उल्लेखनीय बात यह है कि कई मुस्लिम देशों में समतुल्य वक्फ बोर्ड या वक्फ कानून नहीं हैं।
  • कुछ लोगों का तर्क है कि भारत में वक्फ अधिनियम को निरस्त कर दिया जाना चाहिए क्योंकि इसे असंवैधानिक माना जाता है।

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