Ram Rahim & Asaram Bapu: राम रहीम और आसाराम बापू… ये दो अलग-अलग नाम है लेकिन इन दोनों का गुनाह एक ही है। इन दोनों बाबाओं या यूं कहे धर्म प्रचारक अपनी ही शिष्या के साथ रेप के मामले में जेल में बंद है। राम रहीम को दो साध्वियों से रेप और पत्रकार छत्रपति की हत्या के मामले में 20 साल की सजा मिली हुई है। ये चार साल से जेल में बंद है। लेकिन इन चार साल में 10वीं बार जेल से बाहर आया है। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में ने राम रहीम को 21 दिन का फरलो दिया है। वहीं आसाराम बापू अपनी नाबालिग शिष्या से यौन शोषण और रेप के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रहा है। इसे 11 साल में पहली बार राजस्थान हाईकोर्ट ने इलाज के लिए सात दिन की आपातकालीन पैरोल दी है। अब सवाल है कि, जहां एक आम इंसान सजा पाने के बाद सारी जिंदगी जेल की कोठरी में गुजार देता है, लेकिन उसे एक दिन भी पैरोल या फरलो (विशेष परिस्थिति को छोड़कर) नहीं मिलता है। वहीं ये बलात्कारी और रेपिस्ट बाबा बार-बार कैसे जेल से बाहर आ जाते हैंः-

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गुरमीत राम रहीम का केस

राम रहीम सिरसा स्थित अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों से बलात्कार के मामले में 20 साल की कैद की सजा काट रहा है। राम रहीम को पंचकूला की एक विशेष सीबीआई अदालत ने अगस्त 2017 में दोषी करार दिया था।

राम रहीम मिली फरलो और पैरोल ( parole)

  • 24 अक्टूबर 2020: राम रहीम को पहली बार अस्पताल में भर्ती मां से मिलने के लिए एक दिन की पैरोल मिली.
  • 21 मई 2021: मां से मिलने के लिए दूसरी बार 12 घंटे की पैरोल दी गई.
  • 7 फरवरी 2022: परिवार से मिलने के लिए डेरा प्रमुख को 21 दिन की फरलो मिली.
  • जून 2022: 30 दिन की पैरोल मिली. यूपी के बागपत आश्रम भेजा गया.
  • 14 अक्टूबर 2022: राम रहीम को 40 दिन की लिए पैरोल दी गई. वो बागपत आश्रम में रहा और इस दौरान म्यूजिक वीडियो भी जारी किए.
  • 21 जनवरी 2023: छठीं बार 40 दिन की पैरोल मिली. वो शाह सतनाम सिंह की जयंती में शामिल होने के जेल से बाहर आया.
  • 20 जुलाई 2023: सातवीं बार 30 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आया.
  • 21 नवंबर 2023: राम रहीम को 21 दिन की फरलो लेकर बागपत आश्रम गया.

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आसाराम बापू का केस

83 साल के आसामारा को साल 2013 में इंदौर में एक किशोरी के साथ रेप और यौन शोषण के आरोप में अरेस्ट किया गया था। उसके बाद से ही वे जेल में बंद है। 2018 में पोक्सो कोर्ट ने उनको उम्र कैद की सजा सुनाई थी। पिछले कुछ सालों में हैल्थ ईश्यू को लेकर कई बार पुलिस सुरक्षा में वे अस्पताल ले जाए गए। उन्होनें करीब एक दर्जन से भी ज्यादा बार जमानत याचिका लगाई, लेकिन अब जाकर जमानत मिल सकी है।

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सरकार आखिर क्यों है इतना मेहरबान

इन बाबाओं की विचारधारा को मानने वालों की संख्या लाखों में है। इन बाबाओं के माध्यन से राजनीति पुार्टियां इनके अनुयायियों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। पार्टियों के पता है कि ये, जिसे कहेंगे उसे ही इनके मानने वाले लोग वोट देंगे। लिहाजा चुनाव के समय इनकी सरगर्मियां बढ़ जाती है। वहीं भारतीय कानून की पेचिदगियों की वजह से इन्हें आराम से रिहाई मिल जाती है। इन्हें कभी पैरोल मिल जाती है तो कभी फरलो, लेकिन जब भी वो बाहर आता है, उसकी वजह होती है… राजनीति।

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बता दें कि आने वाले दिनों में हरियाणा समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है। राम रहीम की रिहाई से पार्टियों को फायदा मिल सकता है। राम रहीम को साध्वियों से रेप में 20 साल की सजा मिली है और पत्रकार छत्रपति की हत्या में उसे उम्रकैद की सजा मिली है। साल 2017 से ही राम रहीम जेल में बंद है और इस सात साल की सजा में वो 8 महीने से भी ज्यादा वक्त तक जेल से बाहर ही रहा है। कभी पैरोल पर तो कभी फरलो पर। अब ये पैरोल और फरलो क्या होती है, उसे भी समझ लेते हैं।

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कांग्रेस-बीजेपी का समर्थक रहा है राम रहीम

जैसा कि राम रहीम का इतिहास रहा है, वो और उसका डेरा हरियाणा में बीजेपी का बड़ा समर्थक रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी राम रहीम ने बीजेपी का ही समर्थन किया था और अपनी 15 लोगों की टीम को भी चुनाव में उतारा था। इससे पहले राम रहीम जब तक बाबा था और उसे रेप और हत्या का दोषी नहीं पाया गया था तो उसने मोदी सरकार की नोटबंदी का समर्थन किया था। वहीं 2007 में राम रहीम पंजाब के चुनाव के दौरान कांग्रेस का भी समर्थन कर चुका है। कुल मिलाकर बात इतनी है कि बाबा हर चुनाव से पहले बाहर आता है। बड़े-बड़े नेता उसके दरबार में हाजिरी लगाते हैं और बाबा उन्हें आशीर्वाद देता है।

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फरलो और पैरोल में अंतर

क्या होती है पैरोल

पैरोल का मतलब है जेल से मिलने वाली एक छूट। यह छूट वह कैदी पा सकता है, जो जेल में बंद होकर सजा काट चुका हो। पैरोल देने का अधिकार राज्य सरकार को होता है और हर राज्य में इसके अलग-अलग नियम होते हैं। कैदी को पैरोल की सुविधा उसके व्यवहार और सजा काटने के तरीके के आधार पर दी जाती है। इससे वह सामाजिक संबंधों को सुधार सकता है और कुछ महत्वपूर्ण कामों को निपटा सकता है।

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क्या होती है फरलो

फरलो एक तरह से छुट्टी की तरह होती है, जिसमें कैदी को कुछ दिन के लिए रिहा किया जाता है। फरलो की अवधि को कैदी की सजा में छूट और उसके अधिकार के तौर पर देखा जाता है। यह सिर्फ सजा पा चुके कैदी को ही मिलती है। यह आमतौर पर उस कैदी को मिलती है जिसे लंबे वक्त के लिए सजा मिली हो। इसका मकसद होता है कि कैदी अपने परिवार और समाज के लोगों से मिल सके. इसे बिना कारण के भी दिया जा सकता है। चूंकि जेल राज्य का विषय है, इसलिए हर राज्य में फरलो को लेकर अलग-अलग नियम है। उत्तर प्रदेश में फरलो देने का प्रावधान नहीं है।

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