रायपुर. छ्त्तीसगढ़ के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल सोमवार को शपथ लेंगे. हालांकि कैबिनेट गठन की कवायद शुरू हो गई है. बघेल के मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए कई सीनियर विधायक जोर लगा रहे हैं. लेकिन संवैधानिक बाध्यता के चलते राज्य में सिर्फ 13 मंत्री ही बनाए जाएंगे. ऐसे स्थिति में बघेल किसने मंत्रिमंडल में किस किसको शामिल करेंगे. यह अहम सवाल है. वहीं कांग्रेस को क्षेत्रिय समीकरण और जातिगत समीकरण का भी पूरा ख्याल रखना होगा.

संभागवार मंत्री बनने के ये हो सकते है समीकरण

रायपुर संभाग से सत्यनाराण शर्मा, अमितेश शुक्ला और शिव डहरिया शामिल है. सरगुजा संभाग की बात करे तो वहां से टीएस सिंहदेव, 8 बार विधायक रह चुके रामपुकार सिंह, प्रेम सहाय सिंह टेकाम, और अमरजीत भगत इस रेस में शामिल है. तुलनात्मक रुप से बिलासपुर संभाग से कांग्रेस को ज्यादा सीटें नहीं मिली है इसलिए वहां से मंत्री के दावेदारों की संख्या कम होने की संभावना है. यहां मंत्री की दौड़ में चरणदास महंत और उमेश पटेल दो प्रमुख दावेदार माने जा रहे है. बस्तर संभाग से तीन दावेदारों के नाम सामने आ रहे है, जिसमें कवासी लखमा, मनोज मंडावी और लखेशवर बघेल के नाम शामिल होने की चर्चा है. वहीं दुर्ग संभाग पार्टी के लिए सबसे बड़ी पेंच मंत्री के दाछत्तीसगढ़: भूपेश बघेल सिर्फ 13 को मंत्री बना सकते हैं, रेस में शामिल है कई प्रमुख दावेदारवेदारों के नाम घोषित करने में हो सकती है. क्योंकि इस संभाग से मंत्री पद के लिए 5 प्रमुख दावेदारों के नाम सामने आ रहे है. जिसमें मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जाने वाले ताम्रध्वज साहू, मोतीलाल वोरा के बेटे अरुण वोरा, रविद्र चौबे, रुद्र गुरु और महिला कोटे से सबसे प्रमुख दावेदार अनिला भेड़िया का नाम शामिल है.

ये हो सकता है फॉर्मूला

मंत्रिमंडल गठन को लेकर बघेल वरिष्ठ नेताओं के साथ सलाह मश्विरा कर रहे हैं. इसके लिए एक फॉर्मूला निकाला जा रहा है. पार्टी सूत्रों के अनुसार हर संभाग से तीन-तीन और मुख्यमंत्री के गृह संभाग से उनके अलावा एक विधायक को मंत्री पद दिया जा सकता है. बघेल का कहना है कि उनकी कैबिनेट में युवाओं और महिलाओं को भी उचित जगह दी जाएगी. विधायक अपने समर्थकों के जरिए मंत्री बनने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं. इसी तरह विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का भी चयन किया जाना है.

मंत्री बनने के रेस में ये विधायक और उनकी खासियत

चरणदास महंत

  • चरणदास महंत मुख्यमंत्री पद के चार दावेदारों में से एक थे. महंत चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष रहे. केंद्रीय मंत्री रहे महंत को प्रशासन का अनुभव भी है. महंत मध्यप्रदेश में गृहमंत्री रह चुके हैं. हालांकि ऐसे संकेत हैं कि इन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है.

ताम्रध्वज साहू

  • ताम्रध्वज साहू मुख्यमंत्री पद के चार दावेदारों में से एक थे. साहू ओबीसी वर्ग के बड़े नेता हैं. मंत्रिमंडल में जगह देकर उनके समर्थकों को संदेश दिया जा सकता है. खास बात यह है कि उन्होंने सांसद के पद से इस्तीफा देकर विधायक का चुनाव लड़ा.

टीएस सिंहदेव

  • टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री पद के चार दावेदारों में से एक थे. वे सरगुजा के राज परिवार से हैं. सिंहदेव ने सरगुजा संभाग में जीत के लिए रणनीति बनाई और यहां से 14 विधानसभा सीटों में जीत मिली. सिंहदेव की अगुवाई में कांग्रेस ने चुनाव घोषणा पत्र तैयार किया जो राज्य में प्रचंड जीत का आधार बना.

सत्यनारायण शर्मा

  • सत्यनारायण शर्मा दिग्विजय सिंह और अजीत जोगी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. उनका लंबा सियासी अनुभव है और सबको साथ में चलने के उनके व्यक्तित्व के चलते उन्हें विधानसभा का स्पीकर के लिए भी उनके नाम पर विचार किया जा रहा है.

रविंद्र चौबे

  • रविंद्र चौबे को पीडब्लूडी और जनसंपर्क विभागों के कामकाज का अनुभव है. संसदीय कार्यों और उनके लंबे सियासी अनुभव के मद्देनजर विधानसभा स्पीकर के रूप में उनके नाम की भी चर्चा की जी रही है.

कवासी लखमा

  • कवासी लखमा लगातार चौथी बार विधायक बने हैं. लखमा घोर नक्सल प्रभावित इलाके से ताल्लुक रखते हैं. अभी वे सदन में उपनेता प्रतिपक्ष के पद पर हैं और उनकी काफी छवि काफी आक्रामक नेता की हैं.

अमरजीत भगत

  • अमरजीत भगत भी काफी प्रभावशाली आदिवासी नेता हैं. सरगुजा संभाग में 14 में से सभी 14 सीटें कांग्रेस ने जीती है. भगत की इन सीटों में जीत में बड़ी भूमिका रही.

धनेंद्र साहू

  • धनेंद्र साहू प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं और अजीत जोगी की सरकार में मंत्री रहे हैं. राज्य में अच्छी खासी आबादी वाले साहू समाज के नेता हैं जो प्रदेश की राजनीति का रूख मोड़ देती है.

शिव डहरिया

  • शिव डहरिया सतनामी समाज के बड़े नेता हैं. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं.

अमितेष शुक्ल

  • अमितेष शुक्ल जोगी सरकार में मंत्री रह चुके हैं और इस बार 58 हजार से ज्यादा वोट से चुनाव जीता है. उनके पार्टी आलाकमान से भी अच्छे संबंध हैं.

उमेश पटेल

  • उमेश पटेल युवा चेहरा हैं. वे दिवंगत नेता नंदकुमार पटेल के बेटे हैं. पटेल ने हाईप्रोफाइल उम्मीदवार ओपी चौधरी को चुनाव हराया है.

मोहम्मद अकबर

  • मोहम्मद अकबर अनुभवी विधायक हैं और पार्टी का अल्पसंख्यक चेहरा हैं. अकबर ने मुख्यमंत्री के शहर कवर्धा से सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाया है.

अरुण वोरा

  • अरुण वोरा भी अनुभवी विधायक हैं और दुर्ग शहर से चुनाव जीता है. अरुण वोरा कांग्रेस हाईकमान के सबसे करीबी राष्ट्रीय महामंत्री प्रशासन मोतीलाल वोरा के बेटे हैं.

प्रेमसाय टेकाम

  • प्रेमसाय टेकाम 6 बार विधायक चुनाव जीत चुके हैं. वे जोगी सरकार में कृषि मंत्री रह चुके हैं. टेकाम की आदिवासी समाज में अच्छी पकड़ हैं और सरगुजा में काफी प्रभावशाली हैं.

लखेश्वर बघेल

  • लखेश्वर बघेल दूसरी बार विधायक चुने गए हैं और आदिवासी समाज में उनका खासा प्रभाव है. उनकी मिलनसार और साफ व्यक्ति की छवि है.

अनिला भेड़िया

  • अनिला भेड़िया लगातार दूसरी बार विधायक बनी हैं. आदिवासी समाज से ताल्लुक रखती हैं. मंत्री पद के लिए महिला कोटे से उनकी दावेदारी मानी जा रही है.