इस साल जन्माष्टमी 26 अगस्त सोमवार के दिन मनाई जा रही है. ऐसे में आप शनिवार, रविवार और सोमवार तीन दिन की छुट्टी आपको मिल सकती है. इस वीकेंड पर आप तीन दिन में अपने परिवार या दोस्तों के साथ इन जगहों पर घूमने का प्लान बना सकते हैं. जो धार्मिक के साथ मन को भी सूकुन देने वाली होगी. जन्माष्टमी एक खास दिन है. हिंदू धर्म का पालन कर रहे हर व्यक्ति के लिए ये दिन काफी खास होता है. इस दिन श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. इस साल जन्माष्टमी की छुट्टी 26 तारीख, सोमवार को है. भारत की अलग-अलग जगहों पर जन्माष्टमी धूम-धाम से मनाई जाती है.

मथुरा

भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा की जन्माष्टमी देखने लायक होती है. माना जाता है कि इसी जगह पर तूफानी रात में भगवान ने देवकी के गर्भ से जन्म लिया था. यही वजह है कि यहां पर जन्माष्टमी का जश्न देखने लायक होता है. इस दिन मंदिर के पुजारी और भक्त सुंदर झूले लगाते हैं और मंदिरों को चमकीले फूलों से सजाते हैं. जन्माष्टमी के पर्व के लिए मथुरा के सभी मंदिरों को खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है, लेकिन सभी मंदिरों का मुख्य आकर्षण भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर होता है.

वृंदावन

मथुरा से 15 किमी की दूरी पर वंृदावन भारत की सबसे ज्यादा प्रसिद्ध जगहों में से एक है. वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर स्थित है. इस जगह पर भगवान कृष्ण बड़े हुए. यही वह जगह है जहां रहस्यमय जंगलों में श्रीकृष्ण रास लीला करते थे. यहां की जन्माष्टमी देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. मथुरा, वृंदावन में इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. बता दें कि इस बार मथुरा-वृंदावन में 2 दिनों तक श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा.

द्वारका

गुजरात में द्वारका चार धाम में से एक है. माना जाता है इस जगह पर भगवान श्रीकृष्ण का विशाल साम्राज्य था. स्वयं भगवान और भगवान बलराम की मृत्यु के बाद ये पवित्र क्षेत्र समुद्र में डूब गया. अगर आप जन्माष्टमी पर ईश्वर की भक्ति में डूबना चाहते हैं, तो द्वारका जाएं. द्वारका में श्री द्वारकाधीश मंदिर में जन्माष्टमी का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन पूरी द्वारका को फूल से सजाया जाता है. जन्माष्टमी का उत्सव भगवान श्रीकृष्ण का जन्म दिवस है, जो द्वारका का सबसे प्रमुख त्यौहार है.

मुंबई

मुंबई में जन्माष्टमी के दौरान मौज-मस्ती और नाइटलाइफ पार्टियां होती हैं. ब्लॉकबस्टर मशहूर हस्तियों के आगमन और दही हांडी प्रतियोगिता में शामिल होने से लेकर, हर कार्यक्रम यहां मजेदार होता है. यहां की जन्माष्टमी देखने लायक होती है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी उत्सव का आयोजन किया जाता है. जन्माष्टमी के अवसर पर फूलों से सजी दही हांडियां, सोसाइटियों, सड़कों, जंक्शनों और सार्वजनिक मैदानों पर आयोजित की जाती है. रंग-बिरंगे परिधानों में सजे गोविंदा दिन भर शहर की सड़कों पर घूमते दिखाई देते हैं.

जयपुर

जयपुर के श्री गोविन्द देव जी को जयपुर का आराध्य देव माना जाता है. इस मंदिर में दर्शक के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं, ऐसे में श्री कृष्ण जन्माष्टमी से पहले ही यहां भजन मंडलियों द्वारा संकीर्तन किया जाता है. जिसकी शुरुआत हो चुकी हैं. मंदिर में अष्ट प्रहर हरिनाम कीर्तन की स्वर लहरियों के साथ मंदिर के मुख्य द्वार पर शहनाई और नौबत वादन प्रारंभ हो गया है और साथ ही मंदिर परिसर में कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयों की बंदरवार लगनी भी शुरू हो गई है.