रायपुर. नगर निगम के कमिश्नर अबिनाश मिश्रा ने आज आईएसबीटी भाटागांव स्थित नगर निगम के आगामी को-वर्किंग और इनक्यूबेशन सेंटर का दौरा किया. यह अत्याधुनिक सुविधा, जिसे आरडीयूपीएसएस (RDupss) योजना के तहत संचालित किया जाएगा, नवोन्मेषी उद्यमियों और स्टार्टअप्स के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म प्रदान करेगी.

इस केंद्र के पहले चरण में 150 सीटों वाला को-वर्किंग स्पेस तैयार किया गया है, जिसमें भविष्य में 500 सीटों तक विस्तार करने की योजना है. यह सुविधा सभी आधुनिक आवश्यकताओं से सुसज्जित है, जिसमें तीन छोटे और एक बड़े कॉन्फ्रेंस रूम, फाउंडर केबिन्स, मनोरंजन के लिए गेम्स और बैठने के स्थानों के साथ एक सामुदायिक हॉल, उच्च गति वाई-फाई, रिसेप्शन और प्रतीक्षा लाउंज, और एक कैंटीन शामिल हैं.

नगर निगम ने सिस्टम इंटीग्रेटर को शामिल करने के लिए टेंडर जारी कर दिया है, जिसकी प्रक्रिया सितंबर के पहले सप्ताह तक पूरी होने की उम्मीद है. अपने दौरे के दौरान, कमिश्नर मिश्रा ने परियोजना प्रभारी को निर्देश दिया कि शेष सभी कार्य अगले सात दिनों के भीतर पूर्ण किए जाएं.

जानिए क्या है इनक्यूबेशन सेंटर ?

इनक्यूबेशन सेंटर, स्टार्टअप और शुरुआती चरण की कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा बनते हैं. इन केंद्रों का मुख्य उद्देश्य उद्यमियों को उनके व्यवसाय को सफलतापूर्वक विकसित करने में सहायता प्रदान करना है. इनक्यूबेशन सेंटर स्टार्टअप्स को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं, जिनमें वर्किंग स्पेस, मेंटरिंग, मार्केटिंग, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, शुरुआती फंडिंग, नेटवर्किंग, ट्रेनिंग, टीम सपोर्ट, लैब्स और आवश्यक टूल्स शामिल हैं.

इन केंद्रों का कार्य स्टार्टअप्स को उनके आईडिया से लेकर बाजार में उतरने तक पूरी सहायता प्रदान करना है. इनका लक्ष्य है कि स्टार्टअप्स तेजी से बढ़ें और विकसित हों. इसके अतिरिक्त, इनक्यूबेशन सेंटर बौद्धिक संपदा संरक्षण, अनुबंध और अनुपालन, और मार्केटिंग से संबंधित सलाह भी देते हैं. इसके अलावा इनक्यूबेशन सेंटर किराये की लागत को भी कम करते हैं, क्योंकि ये साझा स्थान उपलब्ध कराते हैं, जिससे स्टार्टअप्स को आर्थिक रूप से लाभ होता है.