इस्लामाबाद। बलूचिस्तान से लगातार बुरी खबरें आ रही हैं. रविवार रात से पूरे प्रांत में समन्वित आतंकवादी हमलों की एक श्रृंखला में आम नागरिकों के साथ 70 से अधिक सुरक्षाकर्मियों की जान चली गई है.

मुसाखाइल में 23 यात्रियों की हत्या से शुरू होकर, आतंकवादियों ने बोलन में एक रेलवे पुल को उड़ा दिया, मस्तुंग में लेवीज़ स्टेशन पर कई वाहनों को आग लगा दी, और बेला में FC शिविर पर छापा मारने से पहले कलात में 11 लोगों को गोली मार दी. यह वर्षों में सबसे व्यापक हमला रहा है. अलगाववादी आतंकवादी संगठन BLA ने जिम्मेदारी लेते हुए कहा है कि उसने FC शिविर के एक बड़े हिस्से और अधिकांश राजमार्गों पर कब्ज़ा कर लिया है.

ISPR ने दावा किया कि सुरक्षा बलों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने इन आपराधिक हमलों का तुरंत जवाब दिया, खासकर मुसाखाइल, कलात और लासबेला में, और बाद में होने वाले निकासी अभियानों में 21 आतंकवादियों को मार गिराया. हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि ऑपरेशन के दौरान 10 सुरक्षा बल के जवान और चार एलईए के जवान शहीद हो गए.

बलूचिस्तान कई दशकों से उथल-पुथल में है. पिछले दो दशकों में, खासकर सेना के एक ऑपरेशन में नवाब अकबर बुगती की हत्या के बाद, कई सशस्त्र अलगाववादी समूहों का उदय हुआ है. कहा जाता है कि उनमें से कुछ का संबंध भारत और अन्य पड़ोसी देशों से है, जो सुरक्षित पाकिस्तान के विचार के विरोधी हैं.

इन समूहों ने सुरक्षा बलों, सार्वजनिक प्रतिष्ठानों, चीनी हितों, बलूचिस्तान में निहत्थे पंजाबी श्रमिकों और राजनेताओं को निशाना बनाया है, जो उग्रवादियों के विपरीत बलूच के राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों के लिए लोकतांत्रिक संघर्ष में विश्वास करते हैं. उनके हिंसक कृत्यों और निर्दोष लोगों की हत्या की कड़ी निंदा की जानी चाहिए. इन हमलों की तीव्रता को देखते हुए पूरे देश को, खास तौर पर इसके सैन्य और राजनीतिक संरक्षकों को सतर्क हो जाना चाहिए.