Ganesh Chaturthi 2024 : पूरी दुनिया गणपति बप्पा के आगमन की तैयारी में जुटी हुई है. 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी के दिन गणपति के लाखों भक्त ढोल-नगाड़ों के साथ अपने बप्पा को लेकर घर आएंगे और उनकी स्थापना करेंगे.

भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र  गणेश सभी देवी-देवताओं में प्रथम पूज्य है. मान्यता है गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी कैलाश पर्वत से विदा  लेकर धरती पर आते हैं. और विघ्नहर्ता के रूप में पूजे जाते हैं. भक्त पूजा आराधना करते हैं. उनके सबसे प्रिय लड्डू का भोग लगाते हैं. आज हम गणपति को चढ़ाने वाले 5  खाद्य पदार्थों और उनके महत्त्व के बारे में जानते हैं.

नारियल (Ganesh Chaturthi 2024)

यूं तो हर पूजा में नारियल चढ़ाया जाता है. चूकिं गणेश जी को  नारियल पसंद है इसलिए उन्हें यह प्रसाद स्वरूप अर्पित किया जाता है. नारियल को समृद्धि, संपत्ति और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. मान्यता के अनुसार एक बूढ़ी औरत ने भगवान गणेश को नारियल चढ़ाया था. उन्हें चिंता थी कि यह भोग श्री गणेश को पसंद नहीं आएगा. लेकिन यह गणेशजी को बहुत पसंद आया. जब वे मंदिर आईं तो नारियल टूट गया, उसमें से सोने के सिक्के निकल रहे थे.

मोदक

मोदक को भगवान गणेश का प्रिय व्यंजन माना जाता है. इन्हें अलग-अलग प्रान्त के लोग अलग-अलग तरीकों से बनाते हैं. मान्यता है कि माता पार्वती की माता मैनावती गणेश को उनका पेट भरने के लिए मोदक खिलाया करती थीं. आगे चलके माता पार्वती भी गणेश को मोदक खिलाने लगीं. इसके बाद भक्त भी गणेशजी को मोदक का भोग लगाने लगे. 

केला

गणेश के पसंदीदा फलों में से एक है केला, जो हर जगह बड़ी आसानी से मिल जाता है. इसे प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान गणेश का सिर एक हाथी का है, जिसके कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं. जिस तरह हाथियों को केला खाना पसंद होता है, उसी प्रकार गणपति को भी यह फल अति प्रिय है.

मोतीचूर के लड्डू

गणपति बप्पा की प्रसाद की थाली मोतीचूर के लड्डुओं के बिना अधूरी है. इस लड्डू प्रेम के पीछे एक बेहद भावुक करने वाली कहानी है. उल्लेख है कि भगवान विष्णु के छटे अवतार परशुराम जी से युद्ध करने के दौरान गणपति जी का एक दांत टूट गया. इसके चलते उन्हें खाने में दर्द होता तो माता पार्वती उन्हें शुद्धघी से बने हुए मोतीचूर के लड्डू खिलाजा करती थीं. 

दूब घास

भगवान गणेश की पूजा में दूब घास चढ़ाई जाती है, जिसे ध्रुवा घास भी कहते हैं. गणपति बप्पा हमेशा से खान-पान के शौकीन रहे हैं और वह जी भर के खाते हैं. एक बार उन्होंने तो बहुत सारा खाना खा लिया. तो पेट में जोरों का दर्द होने लगा. तब उन्हें दूब घास की 21 पत्तियां खिलाई गई थीं, जिससे उन्हें तुरंत आराम मिल गया.