Fook Marke Diya Bujhane Ke Nuksan : रोशनी से अंधकार दूर होता है. रोशनी सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव करती है. रोशनी नई सोच को जन्म देती है. यही वजह है कि हमारे ​हिन्दू धर्म में दीया जलाना सबसे शुभ माना गया है. एक दीया घर की डहरी यानी चौखट पर रखा जाता है, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का घर में प्रवाह होता रहे. हर पूजा-पाठ में सबसे पहले दीया लगाया जाता है, और ​इसके साथ ही भगवान का आव्हान किया जाता है. प्रार्थना की जाती है, हे भगवन आप पूजा स्थल पर विराजित हों. पूजा सफल करें. घर में सदा के लिए अपना वास करें. 

दीया जलाने का उल्लेख आदि अनंत काल से चला आ रहा है. शास्त्रों में, वेदों में इसका उल्लेख है. हमारे वेदों में अग्नि को सबसे पवित्र माना गया है. अग्नि की पूजा की जाती है.अग्नि को देवता की संज्ञा दी गई है. त्यौहारों का सीजन शुरू होने जा रहा है, इसलिए आज इस आर्टिकल में हम दीया और उसके महत्व के बारे में  जानेंगे. 

दीया कभी फूंककर न बुझाएं

पूजा के दौरान दीया जलाने का विधान है. इस दौरान हम देवी-देवताओं का आव्हान करते हैं. दीये की लौ में जो अग्नि निकलती है, उसे पवित्र माना जाता है. ऐसे में जब हम मुंह से फूंक मारकर दीया बुझाते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है कि हम अपने घरों में देवी-देवताओं का प्रवेश नहीं चाहते. पूजा के दीया बुझाना यानी अग्नि देव को क्रोधित करना माना जाता है. शास्त्रों में यह भी उल्लेख है कि दीया बुझाने से लक्ष्मी जी नाराज हो जाती हैं. घर में दरिद्रता प्रवेश करती है. 

दीया सिर्फ माचिस से जलाएं

दीया हमेशा माचिस से जलाएं. दीया ही नहीं बल्कि दीया जिस माचिस से जलाया हो उसे भी फूंक मारकर नहीं बुझाना चाहिए बल्कि उस तिल्ली को जमीन पर रगड़कर बुझाना उचित माना गया है. फूंक मारकर अग्नि बुझाना अग्नि देव का अपमान माना जाता है.