भोपाल के लिए दो दिन से लगा रखा था जोर
बात प्रभारी मंत्री पद को लेकर है। मध्य प्रदेश के दो से तीन वरिष्ठ मंत्री भोपाल जिले का प्रभार लेना चाह रहे थे। भोपाल का प्रभारी मंत्री बनने के लिए वैसे तो तीनों नेताओं ने पूरा जोर लगाया, लेकिन प्रभारी मंत्री की कुर्सी पक्का करने के लिए एक मंत्री सूची जारी होने के ठीक दो दिन पहले से पूरा जोर लगाए हुए थे। नेताजी को उम्मीद थी कि ये जोर काम आ ही जाएगा, लेकिन सूची जारी हुई तो सबसे अधिक निराशा इन्हीं मंत्रीजी को हुई।
मंत्रीजी कर रहे हैं हाउस जाने की तैयारी
मामला सीधे युवाओं के रोजगार से जुड़े विभाग का है। इस योजना को लेकर सरकार काफी उत्साहित है, लेकिन योजना की डायरेक्टर का फाइलें देखने का रवैया बेहद ही बारीक होने से जरूरतमंदों की फाइलें अटक रही हैं। फाइलें तब तक अटकी रहती हैं, जब तक कि जरूरतमंद डायरेक्टर महोदय तक नहीं पहुंचते। शिकायत पहुंची तो विभागीय मंत्री ने एक-दो दफा डायरेक्टर को हिदायत दे डाली, इसके बाद भी डायरेक्टर के कामकाज में किसी तरह का सुधार नहीं है। खबर है कि परेशान मंत्रीजी अब शिकायत लेकर सीएम हाउस जाने की तैयारी कर रहे हैं।
सदस्यता अभियान ने रोका उत्साह
निगम-मंडल और प्राधिकारणों में नियुक्ति की सूची का इंतजार कर रहे नेताओं का उत्साह फिलहाल कुछ दिन के लिए फिर थम गया है। कुछ दिन पहले तक ये नेता मानकर चल रहे थे कि बस चार-छह दिन में सूची आने वाली है, लेकिन इस बीच सदस्यता अभियान की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गईं। अब यही नेता कहते हुए नजर आ रहे हैं कि फिलहाल को सदस्य बनाने में जुटना है, नियुक्तियों की लिस्ट तो अब बाद में ही आएगी।
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इतनी भीड़ आई कहां से ?
लंबे समय के बाद मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस की तरफ से बड़ा प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन की भीड़ को लेकर कांग्रेस के अंदर खाने खूब चर्चा चल रही है। आखिर इतनी भीड़ कैसे लाई गई, क्योंकि 5 साल पहले 2018 में कांग्रेस प्रदर्शन के दौरान इतनी बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता भोपाल पहुंचे थे, लेकिन विधानसभा और लोकसभा में बुरी हार के बाद इतना बड़ा प्रदर्शन…कांग्रेस के नेताओं को भी यकीन नहीं था कि इतने कार्यकर्ता भोपाल पहुंच जाएंगे। बताया जा रहा है प्रदर्शन में युवक कांग्रेस के बनाए गए नए अध्यक्ष का मैनेजमेंट और उनके द्वारा प्रदर्शन पर खर्च किये गए 50 लाख रुपए का कमाल है।
मंत्री जी को प्रमुख सचिव पसंद नहीं!
मध्यप्रदेश के कद्दावर मंत्री अपने विभाग के प्रमुख सचिव को हटाने में जुटे हुए हैं, लेकिन उनको कामयाबी नहीं मिल पा रही है। बार-बार वो प्रमुख सचिव के इलाज की तैयारी यानी हटाने की कोशिश करते है, लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिल रही है। क्योंकि प्रमुख सचिव उनकी सुनने के लिए तैयार नहीं है और मंत्री जी प्रमुख सचिव की नहीं सुनते अब दोनों की इस लड़ाई के बीच में विभाग का कामकाज पर भी असर पड़ रहा है।
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