हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की अव्यवस्थाओं और विकास की धीमी गति को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर अपनी आवाज बुलंद की है। कांग्रेस महासचिव राकेश सिंह यादव ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर इंदौर नगर निगम की बिगड़ती हालत पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने शहर के जनहित में तत्काल प्रभाव से दो कार्यकारी महापौर नियुक्त करने की मांग की है।

कांग्रेस महासचिव ने अपने पत्र में इंदौर नगर निगम की वर्तमान स्थिति को लेकर कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इंदौर नगर निगम में पिछले कुछ समय से अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं, जिससे यातायात की स्थिति बदतर हो चुकी है। हाल ही में हुई मामूली बारिश ने नगर निगम की तैयारियों की पोल खोल दी, जब तीन इंच बारिश में ही पूरा शहर जलमग्न हो गया।

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महापौर पर गंभीर आरोप

राकेश सिंह यादव ने वर्तमान महापौर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे नगर निगम का कुशल संचालन करने में पूरी तरह विफल साबित हुए हैं। महापौर न केवल करोड़ों के भ्रष्टाचार और घोटालों को रोकने में असक्षम रहे हैं, बल्कि शहर की मूलभूत सुविधाओं जैसे कि स्ट्रीट लाइट, खतरनाक मकानों की पहचान और नालों की सफाई में भी भारी कमी आई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मेयर निगम की आय बढ़ाने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं, जिससे नगर निगम पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है।

दो कार्यकारी महापौर की मांग

इन विषम परिस्थितियों को देखते हुए, कांग्रेस महासचिव ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से इंदौर नगर निगम में विधि अनुसार विशेष प्रावधान करते हुए दो कार्यकारी महापौर नियुक्त करने की मांग की है। उन्होंने एमआईसी सदस्य राजेंद्र राठौर और मनीष मामा के नाम प्रस्तावित किए हैं, जिन्हें वे अनुभवी और सक्रिय नेता मानते हैं। यादव का मानना है कि ये दोनों नेता इंदौर की दिशा और दशा सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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कांग्रेस की जनहित में सीएम से त्वरित कार्रवाई की अपील

राकेश सिंह यादव ने अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया है कि इंदौर की जनता अब और इंतजार नहीं कर सकती। उन्होंने सीएम मोहन यादव से अपील की है कि वे तत्काल निर्णय लें और इंदौर को इन अव्यवस्थाओं और लापरवाही से निजात दिलाने के लिए दो कार्यकारी महापौर की नियुक्ति करें। कांग्रेस की इस मांग ने इंदौर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं, और अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री मोहन इस पर क्या निर्णय लेते हैं। इंदौर की जनता और राजनीतिक गलियारों में इस मुद्दे पर चर्चाएं तेज हो गई हैं, और सभी की नजरें मुख्यमंत्री के अगले कदम पर टिकी हुई हैं।

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