चंडीगढ़. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के अनुसार कैदियों के पास अगर मोबाइल फोन मिलता है, तो इससे उन्हें पैरोल देने की अनुमति न दी जाए ऐसा नही हो सकता है। यह निर्णय किसी भी कैदी के लिए बहुत सख्त होगा। जब तक कोई भी आरोपी का दोष साबित नही होता तब तक उसे निर्दोष माना जाता है।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर जस्टिस दीपक सिब्बल जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और जस्टिस मीनाक्षी आई. मेहता की पांच जजों की पीठ ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई का सिद्धांत भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के दायरे में आता है।
इसके अनुसार कोई कैदी के लिए यह सही नही होगा की उसे सिर्फ इस लिए पैरोल न दिया जाए की इसके पास मोबाइल है। ऐसा करने से निष्पक्ष सुनवाई का उलंघन होगा.
- सोशल मीडिया की दीवानगी बनी जानलेवा, खड़ी बस से जा टकराई तेज रफ्तार बाइक, दो दोस्तों की मौत, एक की हालत गंभीर
- ये कैसा फ्री इलाज है स्वास्थ्य मंत्री जी? नर्स ने मरीज के रिश्तेदार से मांगी रिश्वत, लेते ही जेब में डाली, फिर…
- Rajasthan News: फिर जेल में कटेगी आसाराम की रातें, 30 अगस्त को करना होगा सरेंडर
- MP का सबसे बड़ा फ्लाईओवर बना स्टंटबाजी का अड्डा: एक बाइक में 6 लोग, सड़क पर लेटकर सेल्फी तो कोई कर रहा डांस, रील के लिए खतरे में डाल रहे जान
- सियोल में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और ATCA प्रतिनिधिमंडल की महत्वपूर्ण भेंट, छत्तीसगढ़ में निवेश की संभावनाओं पर हुई चर्चा…