चंडीगढ़. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के अनुसार कैदियों के पास अगर मोबाइल फोन मिलता है, तो इससे उन्हें पैरोल देने की अनुमति न दी जाए ऐसा नही हो सकता है। यह निर्णय किसी भी कैदी के लिए बहुत सख्त होगा। जब तक कोई भी आरोपी का दोष साबित नही होता तब तक उसे निर्दोष माना जाता है।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर जस्टिस दीपक सिब्बल जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और जस्टिस मीनाक्षी आई. मेहता की पांच जजों की पीठ ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई का सिद्धांत भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के दायरे में आता है।
इसके अनुसार कोई कैदी के लिए यह सही नही होगा की उसे सिर्फ इस लिए पैरोल न दिया जाए की इसके पास मोबाइल है। ऐसा करने से निष्पक्ष सुनवाई का उलंघन होगा.
- दीपावली पर उज्जैन को मिली एक और सौगात: CM डॉ मोहन ने महाकाल लोक में वाटर स्क्रीन प्रोटेक्शन-फाउंटेन शो का किया लोकार्पण, श्री महाकालेश्वर बैंड-श्री अन्न लड्डू प्रसादम का भी शुभारंभ
- CG Morning News : CM साय पुलिस स्मृति दिवस परेड में होंगे शामिल… राजधानी में आज नहीं बिकेगा मांस-मटन… केमिस्ट के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन कल तक… पढ़ें और भी खबरें
- Delhi Morning News Brief: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्लीवासियों को दी दीपावली की शुभकामनाएं, दिवाली से पहले दिल्ली में प्रदूषण का विस्फोट, दिल्ली हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूल की बढ़ी हुई फीस पर लगाई रोक, दिल्ली में छठ महापर्व की तैयारियां जोरों पर, दिल्ली में त्योहारों पर ‘ड्रोन दीदी’ की निगरानी
- Pakistan New ODI Captain : मोहम्मद रिजवान से छिनी कप्तानी, बाबर आजम नहीं ये मैच विनर बन गया कप्तान
- ब्रह्मपुर सीट पर जनसुराज को लग सकता है बड़ा झटका, प्रत्याशी ने नामांकन लिया वापस, BJP की रणनीति हुई कामयाब, क्या मैदान छोड़ के भाग रहे प्रशांत किशोर के उम्मीदवार

