विक्रम मिश्र, लखनऊ. भारतीय जनता पार्टी में उत्तर प्रदेश में 3 सितम्बर से सदस्यता अभियान की शुरुआत किया था, जबकि लक्ष्य था कि सभी बूथों पर 200 नए सदस्य बनाए जाएंगे. लेकिन भाजपा के सदस्यता अभियान में सांसदों और विधायकों की रुचि नहीं है. तभी तो कई जिलों में महज सोशल मीडिया के सहारे सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है, जबकि विधायक और सांसद द्वारा इस ओर किसी भी तरह का आयोजन नहीं किया जा रहा है.

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बता दें कि विकास के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को भी भाजपा से जोड़ने का मूलमंत्र आरएसएस और भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने दिया. बावजूद इसके सदस्यता अभियान शहरी मुख्यालयों तक ही सिमटा हुआ है. आम कार्यकर्ता से लेकर खास पदाधिकारी को पार्टी ने संतुष्ट करने के लिए आयोग और निगमों में तैनाती के रास्ते खोल दिए गए, जिससे कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार किया जा सके. लेकिन उसका भी फायदा होता नहीं दिख रहा है.

भाजपा द्वारा व्यक्तिगत लक्ष्य दिए गए है
भारतीय जनता पार्टी अपना जनाधार बढ़ाने और चुनाव में अपनी मजबूत स्थिति को निर्बाध संचालित रखने के लिए सभी पदाधिकारियों को सदस्यता अभियान का व्यक्तिगत लक्ष्य दिया है. जिससे कि तय लक्ष्य 2 करोड़ नए सदस्यों को पाया जा सके. लेकिन विधायक-सांसदों की हीलाहवाली से ये अब दूर की कौड़ी नज़र आती है. सदस्यता अभियान शुरू हुए आठ दिन बीत चुके हैं. पहले चरण में 25 सितंबर तक चलने वाले इस सदस्यता अभियान को अभी प्रदेश नेतृत्व को गतिशीलता नहीं मिली है.

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पार्टी ने लोकसभा और राज्यसभा के हर सांसद को 20 हजार और विधायकों को 15 हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया है. इसी तरह जिला पंचायत अध्यक्ष और महापौर, नगर पालिका चेयरमैन सहित सभी को व्यक्तिगत लक्ष्य दिए गए हैं. बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों की हीलाहवाली नेतृत्व की चिंता बढ़ा रही है. भारतीय जनता पार्टी 11 से 17 सितंबर के बीच अभियान चलाएगी, जिससे भाजपा के साथ नए सदस्य जुड़ सके. दूसरा इसी अभियान के ज़रिए शिथिल पड़े जनप्रतिनिधियों को एक्टिव करके उनके द्वारा कराई जाने वाली सदस्यता की मॉनीटरिंग और तेज की जाएगी.