मुकेश मेहता, सीहोर। देश में शिक्षा का अधिकार कानून भले ही लागू हो गया हो, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में इसका पालन नहीं किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहाल हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रोज सुबह माता-पिता अपने बच्चों को तैयार करके पढ़ाई के लिए स्कूलों में भेजते हैं, ताकि उनके छोटे छोटे बच्चे शिक्षा ग्रहण कर सके। लेकिन स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों को सबसे पहले स्कूलों में झाडू लगानी पड़ती है, तो कहीं पीने का पानी भर कर लाना पड़ता है। इसके बाद ही इन छात्र छात्राओं की पढ़ाई शुरू हो पाती है। इसमें सबसे खास बात यह है कि यह सब काम स्कूलों में शिक्षकों की मौजूदगी में होता है। 

एमपी में 94 हजार स्कूलों को बंद करने का फरमानः छात्र संगठन डीएसओ ने किया प्रदर्शन


पीने के लिए पानी लाते दिखी छात्राएं 

शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती  ऐसी ही दो तस्वीर सामने आई है। पहला मामला आष्टा विकासखंड के शासकीय प्राथमिक शाला झीकड़ी खुर्द का है। यहां पर दो शिक्षक पदस्थ है और 41 बच्चे दर्ज हैं। इस स्कूल परिसर में छात्र-छात्राओं को पीने के लिए पानी का कोई इंतजाम नहीं है। इसके चलते यहां पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों को अपने से अधिक वजन का पानी का कैम्पर भरकर लाना पड़ता है। तब जाकर उन्हें पीने का पानी नसीब होता है। यहां बच्चों को रोज पानी भरना पड़ता है। इससे कपड़े भी गीले हो जाते हैं।  पानी के कैंपर में बहुत वजन रहता है इसलिए दो-दो बच्चे एक लकड़ी में लटका कर उसे उठाते हैं। स्कूल परिसर से दूर लगे हैंड पंप पर शिक्षक खुद बच्चों को पानी भरने के लिए भेजते हैं। 

झाड़ू लगाते नजर आई बच्ची 

कुछ इसी तरह का मामला शासकीय प्राथमिक शाला झांझनपुरा का है। यहां पर 18 बच्चे दर्ज और दो शिक्षक पदस्थ हैं। यहां पर भी पढ़ाई से पहले हर रोज छोटे-छोटे बच्चों को झाड़ू लगानी पड़ती है। इसके बाद ही इन बच्चों की पढ़ाई शुरू हो पाती है। झाड़ू लगाते समय बच्चों के कपड़े भी गंदे हो जातें हैं।  वहीं इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी संजय सिंह तोमर ने जांच कराए जाने की बात कही है। 

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m