अमृतसर. किसानों ने पंजाब और हरियाणा में दो घंटे के लिए ट्रेनों को रोका. इसके बाद रेलवे प्रशासन पूरी तरह सतर्क दिखा. आरपीएफ के सीनियर डीएसपी अरुण कुमार त्रिपाठी ने अपनी डिवीजन में सभी पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक की. उन्होंने सतर्कता बरतने के निर्देश दिए. रेलवे ट्रैक और स्टेशनों पर आरपीएफ भी तैनात रहेगी. साथ ही खुफिया एजेंसियां भी नजर रखेंगी.

फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और लखीमपुर खीरी मामले को लेकर गुरुवार को किसानों ने पंजाब और हरियाणा के लगभग 36 स्थानों पर दो घंटे तक रेल पटरियों पर बैठकर विरोध प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन दोपहर 12:30 से 2:30 तक चला. इस दौरान कई ट्रेनें प्रभावित हुईं, जिससे आम जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. यह प्रदर्शन संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर संगठन के बैनर तले हुआ. हड़ताल के दौरान चंडीगढ़, अंबाला, अमृतसर, लुधियाना और जम्मू मार्ग पूरी तरह प्रभावित रहे.

किसानों को बदनाम करने की साजिश – पंधेर

अमृतसर में रेल रोको आंदोलन में पहुंचे किसान नेता सर्वण सिंह पंधेर ने बीजेपी की सांसद कंगना रनौत और केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अगर लखीमपुर कांड में बिट्टू के साथियों की मौत होती तो उनका क्या हाल होता. किसानों ने आरोप लगाया कि केंद्र और बीजेपी नेताओं के इशारे पर कंगना और बिट्टू किसानों को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. सर्वण सिंह ने कहा कि अगर केंद्र और राज्य सरकारों ने कमीशन एजेंटों और मजदूर संगठनों की मांगें समय रहते नहीं मानीं तो किसान भी इस आंदोलन में शामिल होंगे.
दूसरी ओर, विरोध प्रदर्शन के दौरान भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता हरजिंदर सिंह ने बताया कि लखीमपुर खीरी में किसानों को तीन साल से न्याय नहीं मिला है. बीजेपी नेता के बेटे ने कई किसानों को कुचल दिया था, जिस कारण आज हमें ट्रेनों को रोकना पड़ा.

शंभू बॉर्डर के पास भी ट्रैक पर बैठे किसान

शंभू बॉर्डर पर भी किसान रेल पटरी पर बैठे. इसके अलावा पटियाला, लुधियाना, बठिंडा, फिरोजपुर में किसान पटरियों पर बैठे रहे. किसानों ने कहा कि वे लोगों की समस्याओं को समझते हैं, लेकिन मजबूरी में उन्हें यह रास्ता चुनना पड़ा. उल्लेखनीय है कि इस साल यह तीसरी बार है जब किसानों ने रेलवे ट्रैक जाम किया है. इससे पहले किसानों ने 15 फरवरी को अमृतसर में पहली बार रेल पटरी जाम की थी. फिर 16 अप्रैल को शंभू ट्रैक पर धरना शुरू हुआ, जो करीब 34 दिनों तक जारी रहा.

Farmers stopped train in Punjab-Haryana,

परेशान हुए लोग

किसानों द्वारा ट्रेनों को रोके जाने का सीधा असर यात्रियों पर पड़ा. विरोध प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में लोग परेशान हुए. रेलवे स्टेशनों पर लोगों की भारी भीड़ देखी गई. कई लोगों को जरूरी काम के लिए जाना था, लेकिन ट्रेनों के न चलने से उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. कई लोगों में गुस्सा भी देखा गया.

किसान खुद उठाएंगे रेल रोके जाने का नुकसान

पंजाब की किसान संगठनों द्वारा 35 स्थानों पर रेल पटरी जाम करने के ऐलान पर केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू ने कहा कि रेल पटरियां जाम करने का नुकसान किसानों को खुद उठाना पड़ेगा. इस पर किसानों ने भी केंद्रीय मंत्री के बयान का जवाब दिया. किसान नेताओं जगजीत सिंह डल्लेवाल और सर्वण सिंह पंधेर ने कहा कि लखीमपुर खीरी में मारे गए 4 किसानों और पत्रकार को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन चल रहा है. बिट्टू को यह नहीं भूलना चाहिए कि जिस सरकार में वे मंत्री हैं, उसी ने आरोपियों को मंत्री बनाकर रखा था.