सर्वे बना सियासी ‘पटवारी’ के लिए सिरदर्द

Power Gossip: मध्यप्रदेश में लगातार बारिश से किसानों की फसले बड़ी मात्रा में बर्बाद हुई है। बर्बाद फसलों को लेकर किसान सर्वे टीम का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन पटवारी खेत में अब तक नहीं पहुंचे तो किसान खुद ही सीधे पटवारी को फोन लगाकर सर्वे के लिए कह रहे है, लेकिन किसान ये फोन असली पटवारी की जगह सियासी पटवारी को फोन लगा रहे हैं। दरअसल हो ये रहा है कि किसान पटवारी को फोन लगाने की जगह एमपी कांग्रेस के मुखिया को फोन लगा रहे हैं, क्योंकि उनके नाम के पीछे भी पटवारी लगा हुआ है। अब नेताजी परेशान हो रहे हैं अपने सरनेम के कारण, क्योंकि की नंबर तो पटवारी के नाम से किसानों के बीच बंट चुका है।

कार्यकारिणी का पता नहीं, लेकिन एक मौजूद पदाधिकारी होगा बाहर

मध्यप्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी कब आएगी ये कांग्रेस के अंदर सबसे बड़ा सवाल बना गया है, लेकिन कार्यकारिणी जब भी आए एक मौजूदा पदाधिकारी की छुट्टी होना तय है। इसकी स्क्रिप्ट पूरी लिखी जा चुकी है, नेताजी की शिकायत कई बार हो चुकी है। अब एमपी कांग्रेस के कर्ताधर्ता ने भी मन बना लिया है। इन नेताजी को पार्टी का पक्ष रखने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन पार्टी का अच्छे से पक्ष रखने की जगह अपनी तुनकमिजाजी के चलते पार्टी की बार-बार किरकिरी करवा रहे हैं।

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स्पेशल डीजी ने इंस्पेक्टर को दी वर्दी उतरवाने की धमकी

स्पेशल डीजी सरकारी पेट्रोल पंप पर फ्यूल भराने पहुंचे, लेकिन कर्मचारी उन्हें एक पंप से दूसरे पंप और आगे पीछे करते नजर आए, इससे साहब नाराज हो गए। इस दौरान उन्होंने वहां मौजूद इंस्पेक्टर को बुलाया। इंस्पेक्टर की ड्रेस देख स्पेशल डीजे और भड़क गए, क्योंकि ड्रेस में जो बेल्ट लगाया गया था वो गलत था। इसके बाद पहले से आगबबूला स्पेशल डीजे ने इंस्पेक्टर को वर्दी उतरवाने की धमकी दे डाली।

सुंदर बालाओं के एनजीओ के आगे सब नतमस्तक

नगरीय निकायों में काम करने वाला एक एनजीओ अधिकारियों के लिए सर दर्द बन गया है। दरअसल, एनजीओ की भारी भरकम पकड़ अधिकारियों के आगे झुकने को तैयार नहीं। सालों से धांधलियों को अंजाम देने के बाद भी अफसर की कलम फाइलों पर नहीं चल पा रही है। नगरीय विकास आवास विभाग समेत भोपाल नगर निगम और अन्य निकायों में एनजीओ का ऐसा दबदबा है कि मानो अफसर एनजीओ के अधीन काम कर रहे हो। बीते दिनों भुगतान में गड़बड़ी का एक मामला भी सामने आया। अफसर ने कांड के मास्टरमाइंड को भी बुलाया। जल्द से जल्द हाजिरी दर्ज करने के फरमान को देख मास्टरमाइंड ने माननीय से संपर्क किया। फिर क्या था फोन पर घर में हुए अफसर के तेवर मास्टरमाइंड के सामने अचानक ठंडे पड़ गए। वैसे सुंदर बालाओं वाले एनजीओ की माननीयों समेत अफसरों की लॉबी में धासूं धाक है।

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माननीय ने शिष्टाचार में किया इजाफा

मध्य प्रदेश में इन दोनों ठेकेदारों की बड़ी लॉबी परेशान है। कारण है विभागों में सालों से चली आ रही शिष्टाचार की परंपरा। एक विभाग में माननीय के इशारे पर शिष्टाचार की दर में इजाफा कर दिया गया हैं। समस्या ऐसी कि जो शिष्टाचार की परिभाषा में नहीं उसके बिल भी पास नहीं किया जा रहे। अब करोड़ों रुपयों के भुगतान के लिए ठेकेदार कंपनियां परेशान हो रही हैं। मामला भी सीधे सीधे डेढ़ परसेंट का है। मामले को लेकर वरिष्ठ अधिकारी भी सालों के बने संबंधों को फरमान के आगे भुना नहीं पा रहे।

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