शशांक द्विवेदी, खजुराहो। संस्कृति विभाग ‘आदिवर्त‘ जनजातीय लोककला राज्य संग्रहालय- खजुराहो में हर रविवार को नृत्य, नाट्य, गायन और वादन पर केंद्रित समारोह ‘देशज‘ का आयोजन करता है. गतिविधि की शुरूआत अंशिका राजोतिया के साथियां ने बुंदेली संस्कार गीत से की. प्रस्तुति के दौरान कलाकारों ने देवीगीत, बुंदेली भजनों की प्रस्तुति दी.

वहीं, अश्वनी कुशवाहा ने बुंदेली लोकगीत, कलाकारों ने चेतावनी भजन, बिलवारी, लेद, ढिमरियाई, राई, भगत दर्शकों के सामने प्रस्तुत किए. वहीं कार्यक्रम का समापन अशोक कुमार मार्को के साथियों ने गुदुमबाजा नृत्य से किया. गुदुमबाजा नृत्य गोण्ड जनजाति की उपजाति ढुलिया का पारंपरिक नृत्य है.

ढुलिया जनजाति के कलाकारों ने गुदुम, ढफ, मंजीरा, शहनाई, टिमकी आदि वाद्यों के साथ जनजातियों के पारंपरिक गीतों की धुनों पर वादन और नर्तन किया जाता है. विशेषकर विवाह के अवसर पर इस जाति के कलाकारों को मांगलिक वादन के लिए अनिवार्य रूप से आमंत्रित करते हैं. अन्य आनुष्ठानिक अवसरों पर भी इन्हें वादन के लिए आमंत्रित किया जाता है.

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m