नागपुर। नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में हर साल की तरह आयोजित विजयादशमी समारोह को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने संबोधित किया. उन्होंने ‘धर्म’ को भारत का सार बताते हुए कहा कि हालांकि, कई धर्म हैं, लेकिन उन्हें जोड़ने वाली अंतर्निहित आध्यात्मिकता ही ‘धर्म’ को परिभाषित करती है.

भागवत ने ‘धर्म’ को सार्वभौमिक, शाश्वत (सनातन) और ब्रह्मांड के अस्तित्व का अभिन्न अंग बताया. उनके अनुसार, ‘हिंदू धर्म’ कोई नई खोज या निर्मित चीज नहीं है, बल्कि इसे पूरी मानवता से संबंधित माना जाता है, जो इसे दुनिया के लिए धर्म बनाता है.

उन्होंने कहा. “धर्म भारत का स्व है, न कि धर्म. कई धर्म हैं, लेकिन इन धर्मों के पीछे धर्म और आध्यात्मिकता, जिसे हम ‘सबसे ऊपर धर्म’ कहते हैं, वही धर्म का प्रतिनिधित्व करता है. धर्म भारत का जीवन है, यह हमारी प्रेरणा है. यही कारण है कि हमारे पास इतिहास है और इसके लिए लोगों ने अपना बलिदान दिया है.”

आरएसएस प्रमुख ने कहा, “हम कौन हैं? हम खुद को हिंदू कहते हैं क्योंकि यह धर्म सार्वभौमिक है, सनातन है और ब्रह्मांड के साथ अस्तित्व में आया. यह सभी का है. हमने न तो इसकी खोज की है और न ही इसे किसी को दिया है, बल्कि केवल इसकी पहचान की है. इसलिए, हम इसे हिंदू धर्म कहते हैं, जो मानवता और दुनिया के लिए एक धर्म है…”

उन्होंने विविधता के महत्व पर जोर दिया और कहा कि कुछ लोग जानबूझकर विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, भले ही कोई विभाजन न हो.

आरएसएस प्रमुख ने कहा, “हम एक बड़े और विविध समाज में रहते हैं, लेकिन कभी-कभी लोग विभाजन पैदा करने की कोशिश करते हैं, भले ही कोई विभाजन न हो. वे इस विचार को आगे बढ़ाते हैं कि हम अलग और पृथक हैं, जिससे लोगों को सरकार, कानून और प्रशासन पर अविश्वास होता है. इससे देश कमजोर होता है और विदेशी ताकतों को शारीरिक रूप से मौजूद हुए बिना नियंत्रण हासिल करने में मदद मिलती है.”

अपने भाषण को आगे बढ़ाते हुए भागवत ने कहा कि बांग्लादेश में भारत विरोधी बयानबाजी की जा रही है, जिसके कारण देश पाकिस्तान के साथ जुड़ रहा है. उन्होंने पड़ोसी देश में हो रही हिंदू विरोधी हिंसा पर भी चिंता जताई.

भागवत ने कहा. “बांग्लादेश में इस बात पर चर्चा चल रही है कि हमें भारत से खतरा है, और इसलिए हमें पाकिस्तान का साथ देना चाहिए क्योंकि उनके पास परमाणु हथियार है जो भारत को रोक सकता है… हम सभी जानते हैं कि कौन से देश इस तरह की चर्चा और बयानबाजी कर रहे हैं; हमें उनका नाम लेने की जरूरत नहीं है. उनकी इच्छा भारत में भी ऐसी ही स्थिति पैदा करने की है,”

आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा कि बांग्लादेश में “अत्याचारी कट्टरपंथी प्रकृति” मौजूद है, और “हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों के सिर पर खतरे की तलवार लटक रही है.”

उन्होंने समुदाय से “संगठित रहने” का आग्रह करते हुए कहा, “बांग्लादेश में क्या हुआ? दंगों के कारण, वहां हिंदू समुदाय पर हमला किया गया. हिंदुओं को सताया गया. हिंदू खुद की रक्षा के लिए सड़कों पर उतर आए, इसलिए कुछ सुरक्षा मिली. जब तक कट्टरपंथी हैं, अल्पसंख्यकों को सताया जाएगा.”

उन्होंने महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों पर दुख जताते हुए कहा कि कोलकाता मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या शर्मनाक है.

उन्होंने कहा. “कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जो हुआ वह शर्मनाक है. लेकिन यह कोई एक घटना नहीं है… हमें ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सतर्क रहना चाहिए. उस घटना के बाद भी जिस तरह से देरी की गई और अपराधियों को संरक्षण दिया गया, वह अपराध और राजनीति के बीच गठबंधन का नतीजा है.”

भागवत ने यह भी कहा कि “जम्मू और कश्मीर में चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए,” जिससे “विश्व स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है”. उन्होंने आगे उल्लेख किया कि मध्य पूर्व में चल रहे इजरायल-हिजबुल्लाह-हमास संघर्ष से यह चिंता पैदा होती है कि यह कितना व्यापक हो सकता है, और कौन प्रभावित होगा, और कौन से वैश्विक संकट पैदा हो सकते हैं.

कार्यक्रम में पूर्व इसरो प्रमुख रहे मौजूद

विजयादशमी के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर के रेशम बाग मैदान में ‘शस्त्र पूजन’ किया. कार्यक्रम में पद्म भूषण और पूर्व ISRO प्रमुख के. राधाकृष्णन मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे. उनके अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पूर्व इसरो प्रमुख के. सिवन मौजूद रहे.