रिपोर्ट- क्रांति कुमार, उदयपुर(अंबिकापुर)- सरगुजा के वनांचल क्षेत्र में हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। वन परिक्षेत्र लखनपुर के पटकुरा के कुकुरटांगा में एक व्यक्ति की मौत और घटोन में दर्जनों घरों को तहस नहस करने के बाद अब हाथियों का झुंड विगत चार दिनों से वन परिक्षेत्र उदयपुर के वनांचल क्षेत्र में डेरा जमाएं हुए है। सत्रह हाथियों के दल ने सोमवार की रात को बजबहरी बस्ती में ऐसा आतंक मचाया कि पीढ़ियों से निवासरत् दस परिवारों का आशियाना एक झटके में ही उजड़ गया। हाथियों के दहशत का आलम ऐसा था कि खाना पीना और घर-द्वार छोड़कर अपनी जान बचाने की जुगत में लगे रहे। ग्राम पंचायत मरेया के आश्रित बजबहरी बस्ती में सत्रह हाथियों के दल ने रात को दस से ग्यारह बजे के बीच एक साथ धावा बोला और बस्ती के ग्यारह घरों में से दस घरों को तहस नहस करके रख दिया। गांव के लोगों के पास हाथियों से बचाव के कुछ भी उपाय नहीं थे। न तो वन विभाग ने उन्हे टार्च उपलब्ध कराया था और न ही हाथियों से बचाव हेतु अन्य संसाधन।
बजबहरी बस्ती में ग्यारह परिवारों के 60 से 70 लोग निवास करते है। सोमवार को हाथियों के केसमा डेवापारा से बजबहरी आने की आशंका पर जान बचाने के लिए कुछ लोग कुण्डेली और कुछ लोग केसमा ग्राम की ओर चले गए। बजबहरी की कुछ पुरूष महिलाएं केसमा की ओर जाने लगे तभी हाथियों के झुंड के आने की भनक लगते ही ये लोग स्कूल की छत पर शरण ले लिए, इनमें कुछ छोटे दुधमुंहे बच्चे एवं महिलाएं भी शामिल थी। स्कूल की छत में शरण लिए लोगों की संख्या बारह थी।
बजबहरी बस्ती के गुज्जू और मुन्ना जो कि बाप बेटे है दोनों ने बारह लोगों को स्कूल की छत पर चढ़ाने में मदद की। हाथियों के काफी करीब आने के बाद दोनों खुद स्कूल की छत पर नहीं चढ़ पाए परंतु दिमाग से काम लिया और उजली रात में जंगल में टेढ़े भागते हुए अपनी जान बचायी, भागने में मुन्ना के पैरों में कटीले तारों से हल्की चोंटे भी आयी है। दोनों की बहादूरी की वजह से एक बड़ा हादसा टल गया।
हाथियों ने बस्ती में पहुंचकर सबसे पहले एक एक कर सभी घरों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया तथा घर में रखे अनाजों को चट करते चले गए। हाथियों के शावक घरों के अंदर घुसकर बोरियों में रखे चावल, महुआ डोरी और धान को अपना आहार बनाया। लोगों के घरों को तहस नहस करने के बाद हाथियों का दल प्राथमिक शाला बजबहरी पहुंचा और सबसे पहले किचन शेड को तहस नहस कर उसके अंदर रखे राशन को भी चट कर गए। छत में शरण लिए लोगों की जान और आफत में तब आ गई जब स्कूल में लगे चैनल गेट को हाथियों ने अपने पैरों से मारना चालु किया परंतु चैनल गेट टुटा नहीं, इसके बाद शौचालय के दरवाजों को भी नुकसान पहुंचाया।
दो लोगों को जंगल में दौड़ाने के बाद हाथियों का दल पुनः स्कूल के पास पहुंचा और पूरी रात स्कूल का चक्कर लगाता रहा इस दौरान छत में शरण लिए लोग बिल्कुल शांत होकर लेटे रहे। छोटे बच्चों के मुंह को भी बंद करके रखे रहे ताकि कोई आवाज ना हो। क्योंकि जरा सी भी आवाज होती तो छत पर चढ़े लोगों की जान आफत में आ सकती थी। डेवापारा एवं दूसरे गांवों के ग्रामीण केसमा के पंचायत भवन में शरण लिए हुए थे, वन विभाग का मैदानी अमला सभी लोगों की देखरेख में तत्परता से जुटा हुआ था।
मंगलवार की सुबह वन विभाग का मैदानी अमला पहुंचा और नुकसानी का जायजा लिया। घटना की सूचना पर नायब तहसीलदार अमरनाथ श्याम राजस्व अमले के साथ पहुंच कर उन्होने भी हाथियों से हुई क्षति का आकलन किया तथा उच्चाधिकारियों को इससे अवगत कराया। बजबहरी में नेताओं के पहुंचने का सिलसिला भी जारी रहा सबसे पहले भाजपा नेता अनुराग सिंह विनोद हर्श के साथ केसमा डेवापारा फिर बजबहरी पहुंचे तथा पीड़ितों से मिलकर उनका हाल जाना व वन विभाग के तथा पंचायत के प्रतिनिधियों से बात कर लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की बात कही। देर शाम नेता प्रतिपक्ष एवं विधायक टीएस सिंहदेव, विधायक प्रतिनिधि सिद्धार्थ सिंह, जनपद अध्यक्ष राजनाथ सिंह एवं जिला पंचायत सदस्य, भोजवंती सिंह भी बजबहरी पहुंचे तथा पीड़ित परिवारों को त्वरित सहायता के रूप में एक एक हजार रूपये सहायता राशि प्रदान की एवं हाथी प्रभावित गांव के लोगों को रोशनी की व्यवस्था हेतु पांच टार्च भी मौके पर उपलबध कराया।
वहीं मंगलवार शाम तक वन विभाग के आला अधिकारी रेंजर एसडीओ मौके पर नहीं पहुंचे पाए थे। हाथियों का दल अभी भी मोहनी झरिया बटपरगा मरेया के जंगल में डेरा जमाए हुए है। और आतंक के साए में डेवापारा, कुण्डेली, बजबहरी, मरेया, केसमा और सितकालो के ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर है। हाथियों का दल रात में किस ओर प्रस्थान करेगा यह कह पाना मुश्किल।