विजेंद्र सिंह राणा, सीहोर। जिले के ग्राम लसूड़िया परिहार में आज भी सर्पदंश से पीड़ित लोग स्वस्थ्य होने के लिए मंदिर जाते हैं। इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, मंदिर पहुंचने वाले को कोई फर्क नहीं पड़ता। ये प्रथा पिछले 100 वर्षों से चली आ रही है। पेशी के दौरान नाग मानव शरीर में आते हैं और डसने की वजह भी बताते हैं। कोई कहता है पूछ पर पैर रखा था तो कोई कहता है परेशान किया था। नागों की अदालत का यह नजारा हर साल यहां दीपावली के दूसरे दिन पड़वा को देखने को मिलता है। गांव में प्रदेशभर से सांप काटने से पीड़ित लोग पहुंचते हैं। पेशी के दौरान सांप के काटने का कारण जानने के अलावा दोबारा ऐसी घटना न हो इसका संकल्प लेते है।
शुक्रवार को यह नजारा देखने का मिला। जैसे ही सांप की आकृति बनी थाली को नगाडे की तरह बजाना शुरू किया वैसे ही सर्पदंश से पीड़ित सभी लोग झूमने लगे। एक-एक कर सभी पीड़ितों को पंडित के सामने ले जाया जाता है। माना जाता है कि पीड़ित के शरीर में उस समय वह नाग होता है। पंडित उस नाग से सवाल पूछते हैं क्यों काटा। सांपों के बताया कि उसने पीड़ित को क्यों काटा। साथ ही पीड़ित ने वचन दिया कि वो कभी किसी सांप को परेशान नहीं करेंगे। सैकड़ों पीड़ितों का उपचार होने से लगातार यहां लोगों की आस्था बढ़ रही है। यहां पीड़ितों के अलावा बड़ी संख्या में नजारा देखने वाले लोग भी पहुंचते हैं।
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