मंत्री को मंच से दी सीख
बात हाल ही में हुए राज्य स्तरीय कार्यक्रम की है. जहां कार्यक्रम के दौरान विभागीय मंत्री ने मुख्यमंत्री से मंच से मांग कर डाली. मंत्रीजी ने मांगें पढ़ना शुरू ही किया था कि प्रदेश के मुखिया ने उन्हें रोक दिया. और जब मुखिया ने मंच संभाला तो कहा मंत्रीजी मांग क्यों कर रहे हो, सीधे लागू करो. आप विभाग के मंत्री हैं, विभाग भी आपका है. मंत्री को मांगने की क्या जरूरत है, तुम्हें तो सीधे लागू करना चाहिए. मुखिया के निर्देश के बाद मंत्री कभी असहज तो कभी काॅन्फिडेंट नजर आए.
साहब कभी भी पूछ लेंगे
प्रदेश के मुखिया के अलर्टनेस के कारण अफसरों के साथ मंत्रियों को भी अपडेट रहना पड़ रहा है, क्योंकि पता नहीं साहब का कब फोन आए और विभाग का अपडेट पूछ लें. ऐसा सूबे के दो मंत्रियों के साथ हो चुका है. साहब ने योजनाओं के क्रियान्वयन का अपडेट पूछा तो मंत्रीजी सटीक से जवाब नहीं दे पाए. अब दोनों ही मंत्री हर दिन विभाग के पूरे लेखा-जोखा का अपडेट रख रहे हैं. इन मंत्रियों का मानना है कि साहब पूरी जानकारी रखते हैं, विभागीय कामकाज से वे भी पूरी तरह अपडेट रहें. शायद इसलिए अचानक फोन कर पूछा गया होगा.
तवज्जो नहीं मिलने से महापौर परेशान
बात प्रदेश के एक नगर निगम की महापौर से जुड़ी है. महापौर का पद बतौर शहर के प्रथम नागरिक के रूप में माना जाता है. उनका मानना है कि इस कारण उन्हें पद के अनुसार तवज्जो मिले. सरकारी आयोजनों में तो पद के अनुसार स्थान मिल जाता है, लेकिन मंच के पहले या मंच से नीचे आने के बाद उन्हें तवज्जो नहीं मिलती. कई बार यह बात सामने आ चुकी है. महापौर का कहना है कि जितना अनसुना अफसर करते हैं, उतनी ही कन्नी कार्यकर्ता भी काटने लगे हैं.
दफ्तर में ताला, बे आबरू होकर लौट गए नेताजी
पिछला एक हफ्ता त्योहारों में बीता, कामकाज ज्यादा कुछ हुआ नहीं. लेकिन मध्यप्रदेश कांग्रेस के एक नेताजी दीपावली के अगले दिन दफ्तर पहुंच गए. सोचा कार्यकर्ताओं से मुलाकात होगी, पत्रकारों को दीपावली की शुभकामनाएं देंगे. लेकिन जब दफ्तर पहुंचे तो उन्हें अपने चेंबर पर ताला लटका दिखा. नेताजी ने चाबी मंगवाई, लेकिन जिसके पास ताला खोलने की जिम्मेदारी रहती है वो छुट्टी पर था. चाबी मिली नहीं और नेताजी इंतजार करते-करते वापस लौट गए.
कार्यकारिणी में सीधे दिल्ली से एंट्री, भौंचक रह गए नेता
मध्यप्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी में नाम जुड़वाने के लिए कई सियासी दाव पेंच चले गए. निमाड़ के एक नेता ने महासचिव पद के लिए अपना नाम सीधे दिल्ली से जुड़वा लिया और इसकी जानकारी स्थानीय कांग्रेस के बड़े नेताओं को तब लगी जब लिस्ट में नाम आया. इस जुगाड़ू नेताजी की कुंडली खंगालते कांग्रेस कार्यकर्ता नजर आए. पता लगाया जाने लगा कि आखिर किस नेता की सिफारिश पर नाम जोड़ा गया. आखिरी में निष्कर्ष निकला कि नेताजी ने दिल्ली में अपना सेटअप पिछले कुछ महीनो में काफी तगड़ा कर लिया है, जिसके दम पर उनकी सीधी एंट्री हुई है.
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