शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है। अक्सर ऐसी तस्वीर सामने आती है जो बदहाली की पोल खोलकर रख देती है। ताजा मामला सीधी से सामने आया है, जहां एक गर्भवर्ती महिला का परिवार घंटों तक एंबुलेंस के लिए गुहार लगाता रहा। अंत में पति थक-हारकर पत्नी को ठेले पर ले जाने को मजबूर हो गया। इस दौरान प्रसव पीड़ा होने पर महिला ने बीच रास्ते में ही बच्चे को जन्म दे दिया। लेकिन नवजात की 10 मिनट बाद ही मौत हो गई। मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अफसर नींद से जागे और कंपनी की एक महीने की राशि रोकने के निर्देश दे दिए। 

प्रसव पीड़ा के बाद भी घंटों तक नहीं पहुंची एंबुलेंस

मामला 1 नवंबर का है। प्रसूता उर्मिला रजक के पेट में दर्द होने के कारण पति कृष्ण कुमार ने रात 10:30 बजे से कई बार 108 कॉल सेंटर पर कॉल किया। गर्भवती महिला की स्थिति गंभीर होने के बावजूद लगभग रात 11:32 बजे जिला सीधी में संचालित 108/जननी एम्बुलेंस को असाईन न करते हुए गर्भवती महिला को कुसमी लोकेशन की एम्बुलेंस वाहन क्रमांक CG04NR9816 असाइन की गई। जोकि अन्य केस (ISSK पिकअप) में व्यस्त थी।

हाथ रिक्शा में अस्पताल ले जाने लगा पति
एंबुलेंस पंहुचने में देर होने के कारण महिला के पति कृष्ण कुमार हाथ रिक्शे से अस्पताल की ओर ले जाने लगे। लेकिन रास्ते में ही महिला की डिलीवरी हो गई और अस्पताल पहुंचने से पहले ही नवजात की मृत्यु हो गई।

कंपनी की 1 महीने की राशि को रोका जाएगा

स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में कहा कि 108 एम्बुलेंस सेवाएं शासन की अति आवश्यक सेवाओं में से एक है। जिसका उद्देश्य गंभीर मरीजों, गर्भवती/ प्रसूति महिलाओं और शिशुओं को त्वरित उपचार के लिए परिवहन सेवा उपलब्ध कराना है। लेकिन इस प्रकरण से विभाग की छवि धूमिल होती है। इसलिए गंभीरता को देखते हुए संबंधित एम्बुलेंस वाहनों (CG0INT1847, CG04NW2428, CG0INV6577) का 01 माह की राशि 4 लाख 56 हजार 917 रुपए रोका जाएगा। बता दें कि मैसर्स जे.ए.ई.एस प्रोजेक्ट इन एंबुलेंस को संचालित करती है।

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