शब्बीर अहमद, भोपाल। देश भर में इन दिनों डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। लोगों से ठगी करने के लिए उन्हें धमकाया जा रहा है और कई घंटों तक बंधक बनाकर मानसिक प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है राजधानी भोपाल से, जहां ठगों ने मुंबई क्राइम ब्रांच और सीबीआई का अधिकारी बनकर विवेक ओबेरॉय नाम के एक शख्स को 6 घंटों तक लगातार डिजिटल बंधक बनाकर रखा। लेकिन इसी बीच असली पुलिस ने पीड़ित के घर पहुंचकर रेस्क्यू कर उन्हें ठगी का शिकार होने से बचा लिया। संभवतः यह देश का पहला मामला है, जहां Digital Arrest के दौरान ही उन्हें बचा लिया गया।

दुबई के बड़े कारोबारी हैं विवेक ओबेरॉय

दरअसल, अरेरा कॉलोनी में रहने वाले दुबई के बड़े व्यापारी विवेक ओबेरॉय के घर मुंबई क्राइम ब्रांच के नाम का फोन कॉल आया। ठग ने उन्हें डराया कि आपका आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों के जरिए देश के अलग-अलग इलाकों में फर्जी अकाउंट खोले गए हैं। इसके बाद स्काइप डाउनलोड कराया और वीडियो कॉलिंग कर तीन मोबाइल और एक लैपटॉप के जरिए डिजिटल अरेस्ट किया। 

6 घंटे एक ही कमरे में बनाया बंधक 

ठगों ने 6 घंटे तक घर में एक ही कमरे में उन्हें बंधक बनाकर रखा। फर्जी डिजिटल पूछताछ सर्विलांस के दौरान पीड़ित से उनकी और परिवार की निजी जानकारियां और बैंकिंग डिटेल्स पूछी गई। उन्हें धमकाया कि अगर उन्होंने किसी को इसके बारे में बताया तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। साथ ही फैमिली मेंबर को नुकसान पहुंचाने की भी धमकी दी।

आइडेंटिटी कार्ड मांगते ही काट दिया कॉल

आरोपियों ने उन्हें मनी लांड्रिंग से संबंधित फर्जी नोटिस भेजे। इस दौरान पड़ोसियों ने पुलिस को जानकारी दी। सूचना मिलते ही पुलिस बिना समय गंवाए मौके पर पहुंची और आइडेंटिटी कार्ड मांगने के लिए कहा। जैसे ही उनसे कार्ड दिखाने के लिए कहा, ठगों ने स्काइप कॉल कट कर दिया और पुलिस ने करोड़ों रुपए की ठगी होने से विवेक ओबेरॉय को बचा लिया।  

सिलसिलेवार पढ़ें डिजिटल अरेस्ट की स्टोरी 

अरेरा कॉलोनी के रहवासी विवेक ओबेरॉय को साइबर जालसाजों ने फर्जी TRAI Legal Cell ऑफिसर मुंबई साइबर क्राइम सेल ऑफिसर Sub Inspector Vikram Singh और CBI ऑफिसर IPS-DCP Manesh Kalwaniya नाम से फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर फोन किया। पीड़ित के आधार कार्ड पर जारी सिम को Unsolicited Marketing से जुड़ी होने और आधार कार्ड से विभिन्न राज्यों में फर्जी बैंक खाते खुले होने के नाम पर डराकर, SKYPE App Download कराया गया। Video कॉलिंग पर 3 मोबाइल फोन और 1 लैपटॉप पर दोपहर लगभग 1 बजे से उनके ही घर के एक कमरे में डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया। 

verification के लिए मांगी ID 

पाया कि फर्जी डिजिटल पूछताछ/Surveillance के दौरान उनसे उनकी तथा उनके परिवार की निजी जानकारियां, बैंकिंग डिटेल्स पूछी गई। मौके पर फर्जी TRAI , CBI और मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस अधिकारी से टीम बनकर बात की गई। जब बदमाशों से उनकी ID verification के लिए मांगी गई तो जालसाजों ने तत्काल फोन काट दिया और सारे SKYPE Video Call disconnect कर दिए। 

पुलिस ने दी समझाइश

बाद पीड़ित को टीम द्वारा समुचित तरीके से समझाया गया और उन्हें फोन और लैपटॉप की डिजिटल अरेस्ट की Virtual दुनिया से बाहर निकाला गया। उन्हें बताया गया कि डिजिटल अरेस्ट जैसा देश में कोई प्रावधान नहीं है। जालसाजों ने TRAI Legal Cell ऑफिसर, CBI, मुंबई साइबर क्राइम सेल द्वारा money laundering/अपराध में संलिप्त होने के नाम पर जो भी नोटिस भेजे हैं वे पूरी तरह से फर्जी है। आप इन पर विश्वास न करें। तब जाकर उन्होंने राहत की सांस ली। 

समय पर पहुंची पुलिस ने बचाए करोड़ों रुपए

पीड़ित ने कहा कि अगर पुलिस मौके पर नहीं पहुंचती तो वे न जाने कितने करोड़ रुपए उन्हें ट्रांसफर कर देते। साथ ही उन्होंने एमपी पुलिस और साइबर पुलिस को भी धन्यवाद दिया है। उन्होंने बताया कि दूसरे राज्य जाने की उनकी फ्लाइट थी लेकिन डिजिटल अरेस्ट के कारण वो कैंसिल कर दी गई। हालांकि, मामला खत्म होने के बाद वे खुशी से एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए।

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