अमित कोड़ले, बैतूल। मध्य प्रदेश के बैतूल से जंगल सत्याग्रह से शुरू हुआ था. 1930 में शुरू हुए जंगल सत्याग्रह में आदिवासी लड़ाकों की वीरगाथा अब पहली बार पर्दे पर दिखने वाली है. फिल्म को बैतूल के ही प्रदीप उइके ने बनाया है और इसके बनाने के पीछे एक दिलचस्प वजह है.

दरअसल, फिल्म के निर्देशक प्रदीप उइके यूपीएससी की परीक्षा दे रहे थे. जिसमें जंगल सत्याग्रह से जुड़ा एक सवाल पूछा गया. प्रदीप को इससे प्रेरणा मिली कि जब जंगल सत्याग्रह की घटना इतनी अहम है तो क्यों का इस पर फिल्म बनाई जाए. उसने साल 2021 में फिल्म बनाना शुरू किया था. आर्थिक कठिनाइयों के चलते कई लोगों ने पैसे उधार लिए और कई लोगों ने आर्थिक मदद भी की. जिसके चलते लगभग 1 करोड़ की लागत से फिल्म बनकर प्रदर्शन के लिए तैयार है.

बैतूल में फिल्म का प्रीमियर कराया जा रहा है. जिसके सभी शो फूल हॉउस हो चुके हैं. फिल्म में 1920 से 1942 तक का बैकड्रॉप दिखाया गया है. इस दौरान 1930 में महात्मा गांधी बैतूल आए थे. जिसके बाद जंगल सत्याग्रह की शुरुआत हुई थी. अंग्रेजी हुकूमत ने जंगल में मवेशी चराने और घास काटने पर रोक लगा दी थी. आदिवासियों ने जंगल में घास काटकर सत्याग्रह शुरू किया था. फिल्म में कुल 80 कलाकारों ने एक्टिंग किया है और जंगल सत्याग्रह के लगभग 15 आदिवासी नायकों की वीरता और बलिदान दिखाया गया है.

फिल्म में जर्मनी के कलाकार रुबेन वेसकोलेक ने भी एक्टिंग किया है. वहीं मुलताई के पूर्व कांग्रेस विधायक सुखदेव पांसे और भैंसदेही के पूर्व विधायक धर्मूसिंग सिरसाम ने भी अभिनय किया है. प्रदीप के मुताबिक, प्रीमियर के बाद फिल्म की थियेटर रिलीज और ओटीटी रिलीज के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं. कुछ वितरकों ने इसमें रुचि दिखाई है. फिल्म स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी नायकों और जनजातीय समुदाय के योगदान को बताने के मकसद से बनाई गई है.

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