विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार ने आईपीएस अधिकारी हिमांशु कुमार के खिलाफ विजिलेंस जांच को अचानक बंद करने का आदेश दिया है. 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हिमांशु कुमार पिछले चार सालों से अनुकूल तबादला आदेश जारी करने के लिए लाखों रुपये की मांग करने के आरोप में जांच का सामना कर रहे थे. जिस पर की एसएसपी गौतमबुद्ध नगर वैभव कृष्ण द्वारा प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी को सौंपी गई एक गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था.
निलंबन के बाद सतर्कता जांच शुरू की गई, लेकिन राज्य सरकार ने इसे रोक दिया. सतर्कता विभाग ने हिमांशु कुमार के खिलाफ मेरठ पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराई थी. विजिलेंस जांच पर रोक लगाने वाले ताजा आदेश में कहा गया है कि विजिलेंस जांच में उनके खिलाफ लगाए गए आरोप सही नहीं पाए गए. इसलिए विजिलेंस विभाग ने सरकार से सिफारिश की है कि उनके खिलाफ चल रही विजिलेंस जांच हमेशा के लिए बंद कर दी जाए. राज्य सरकार ने सिफारिश स्वीकार करते हुए जांच बंद कर दी है.
2019 में नोएडा के तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण ने पांच आईपीएस अधिकारियों पर कथित पत्रकारों के साथ मिलकर तबादला रैकेट चलाने का सनसनीखेज आरोप लगाया था. जिसके बाद सरकार ने एसआईटी से इस मामले की जांच कराई थी जिसमें तत्कालीन सतर्कता निदेशक समेत पांच सदस्य शामिल थे. एसआईटी ने दिसंबर 2019 को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी. इसमें आईपीएस अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार लगे आरोप सही पाए थे, जिसके बाद शासन के निर्देश पर मेरठ के विजलेंस थाने में दो एफआईआर दर्ज की गई थीं.
ये अधिकारी थे शामिल
- अजय पाल शर्मा,
- सुधीर सिंह,
- हिमांशु कुमार,
- राजीव नारायण मिश्रा,
- गणेश साहा
बता दें कि विजिलेंस विभाग ने पिछले साल दोनों अफसरों को क्लीन चिट दे दिया था. इसके बाद अजय पाल शर्मा को जौनपुर का एसएसपी बनाया गया. अब उनके खिलाफ जांच बंद होने के बाद हिमांशु कुमार को भी कोई महत्वपूर्ण पद दिया जा सकता है.
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