पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। जनपद के चिखली रीपा में फिजूलखर्ची का बड़ा मामला सामने आया है. यहां डेढ़ करोड़ की लागत से स्थापित दुग्ध प्रसंस्करण इकाई पिछले छह महीनों से बंद पड़ी हुई है. प्रशासन ने ढाई साल पहले इस योजना की शुरुआत की थी, लेकिन इसका संचालन कौन करेगा अब तक जनपद प्रशासन तय नहीं कर पाया है. लिहाजा कथित डेढ़ करोड़ लागत से स्थापित प्लांट धूल खाते पड़ी हुई है.
जनपद अध्यक्ष ने कहा, मलाई खाने किया गया है प्लान तैयार
गरियाबंद जनपद अध्यक्ष लालिमा ठाकुर कांग्रेस सरकार के समय तैयार इस प्लान का शुरू से ही विरोध कर रही थी. पूछे जाने पर अब उन्होंने कहा है कि यह दुग्ध प्रसंस्करण के आड़ में मलाई छानने की योजना बताया. इस स्कीम के प्रोजेक्ट फाइल पर ही जनपद अध्यक्ष ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया. उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट फाइल में तबके अफसरों गाय की संख्या बढ़ा चढ़ा कर दिखाया.
दूध का उत्पादन तीन गुना बताया. रिपोर्ट में यह नहीं बताया कि उत्पादित दूध में विक्रय के लायक कितनी मात्रा है. केवल कागजी रिपोर्ट बनाया गया, महिलाओं के हाथों में काम का सब्जबाग दिखाया गया. कागजों में ही महिलाओं की आर्थिक संबलता की गाथा लिख दिया गया. इसलिए कहना पड़ रहा है कि यह योजना केवल मलाई खाने के लिए बनाई गई.
ना समूह आया न कोई संगठन ने दिखाई रुचि
प्रसंस्करण केंद्र के संचालन के लिए विभाग ने 24 अक्टूबर को निविदा जारी किया था. निविदा आज खुलनी थी, भरने की अंतिम तिथि 18 नवंबर रखा गया था. लेकिन कागजी आंकड़ों पर खड़ा इस इकाई में काम लेने किसी के रुचि नहीं दिखाई.
मामले में गरियाबंद जनपद सीईओ अमजद जाफरी ने कहा कि सारा सेटअप जिला पंचायत से तय हुआ है. संचालन के लिए निविदा जारी किया गया था, अगर कोई नहीं आया तो दोबारा निविदा कोल करेंगे.
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