पिथौरा. छत्तीसगढ़ के पिथौरा स्थित शासकीय कन्या हाई स्कूल की मनमानी ने “बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ” अभियान को शर्मसार कर दिया है. वार्ड क्रमांक 8 की एक छात्रा, जो कक्षा आठवीं तक मिडिल स्कूल में पढ़ाई कर चुकी थी, उसके जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाने से उसे हाई स्कूल में प्रवेश नहीं दिया गया. स्कूल के इस असंवेदनशीलता के चलते छात्रा अब पढ़ाई छोड़कर मजदूरी करने को मजबूर है.
छात्रा ने सुनाई अपनी आपबीती
पीड़ित छात्रा ने बताया कि उसने टीसी के साथ स्कूल में प्रवेश के लिए आवेदन किया था और वह स्कूल भी जा रही थी. लेकिन कक्षा शिक्षक ने न तो सरकारी पुस्तक-कॉपी दी और न ही उसका नाम अटेंडेंस रजिस्टर में दर्ज किया गया. वह रोज अटेंडेंस में अपना न पुकारे जाने से अपमानित महसूस करती थी. जब उसने इसका कारण क्लास टीचर से पूछा, तो टीचर ने स्पष्ट किया कि जाति प्रमाण पत्र नहीं बने होने के कारण उसका स्कूल में प्रवेश संभव नहीं है. इसके बाद से छात्रा स्कूल जाने से वंचित हो गई.
प्राचार्य ने दी “ओपन परीक्षा” की सलाह
जब यह मामला “लल्लूराम डॉट कॉम” के संज्ञान में आया, तो उन्होंने स्कूल प्राचार्य से बात की. प्राचार्य ने इस मामले में अनभिज्ञता जाहिर की और इसे कक्षा शिक्षक का मामला बताया. लल्लूराम टीम के प्रयासों के बाद प्राचार्य ने छात्रा को अस्थायी रूप से कक्षा में बैठने की अनुमति तो दी, लेकिन प्रवेश देने से इनकार कर दिया. साथ ही, उसे ओपन परीक्षा से डिग्री प्राप्त करने की सलाह दी.
पढ़ाई के जज्बे को सलाम
छात्रा के पढ़ने के जज्बे को देखते हुए, एक अन्य शासकीय स्कूल के शिक्षक ने उसे किताबें और कॉपियां मुहैया कराईं. यह परिवार अब उम्मीद कर रहा है कि स्कूल प्रशासन उसे अन्य छात्राओं की तरह नियमित प्रवेश देकर पढ़ाई का मौका देगा, ताकि वह अपना भविष्य संवार सके. छात्रा की मां चाहती है कि दोनों छोटी बेटियां पढ़ लिख कर कोई अच्छी नौकरी या अपना काम करें.
लल्लूराम डॉट कॉम के प्रयास से छोटी बहन को मिला प्रवेश
उक्त छात्रा ने इस लल्लूराम को बताया कि वह स्थानीय पुरानी बस्ती के वार्ड 8 में अपनी मां और 2 बहनों के साथ रहती है. पिता कहीं बाहर रहते हैं. मां और बड़ी बहन मजदूरी कर दोनों छोटी बहनों को पढ़ाना चाहती है. लेकिन गरीबी के चलते वे अपनी बहनों का प्रवेश सरकारी स्कूल में भी नही करवा पाई, क्योंकि अशिक्षा के कारण छोटी बहन का आधार कार्ड नही बना था. एक आधार सेंटर वाले ने आधार कार्ड बनवाने के लिए 1100 रुपये खर्च बताया. वहीं बड़ी बहन का जाति प्रमाण पत्र नहीं था, जिसके कारण दोनों पढ़ाई से वंचित हो रही थी. तब उन्हें उनके एक पड़ोसी ने लल्लूराम के पास सहायता के लिए भेजा. लल्लूराम के प्रयास से छोटी बहन का प्रवेश पहली कक्षा में हो गया. लेकिन उससे बड़ी बहन को कन्या हाई स्कूल ने प्रवेश देने से इनकार कर दिया है.
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